कोर्ट का बड़ा फैसला: अब संविदा कर्मचारियों को भी मिलेगा पुरानी पेंशन का हक – Old Pension Scheme

By Prerna Gupta

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Old Pension Scheme – भारत में पेंशन स्कीम को लेकर अक्सर कर्मचारियों के बीच कई सवाल और विवाद होते रहते हैं। खासकर जब बात संविदा (contract) कर्मचारियों की होती है, तो उन्हें पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) का लाभ मिलेगा या नहीं, यह अक्सर चर्चा का विषय बनता है। अब हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में एक बड़ा फैसला दिया है, जिससे संविदा कर्मचारियों को काफी राहत मिली है। इस आर्टिकल में हम इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी, कोर्ट के आदेश और इसका कर्मचारियों पर क्या असर होगा, विस्तार से समझेंगे।

Old Pension Scheme क्या है?

पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme), जिसे ओपीएस भी कहा जाता है, भारत सरकार द्वारा कर्मचारियों के लिए शुरू की गई थी। इस योजना के तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन दी जाती थी। हालांकि, 1 अप्रैल 2004 के बाद नई पेंशन योजना (NPS) लागू हो गई, जिसके तहत पेंशन राशि कर्मचारी की जमा राशि और बाजार के अनुसार तय होती है।

पुरानी पेंशन योजना के फायदे ये थे कि इसमें कर्मचारी को फिक्स पेंशन मिलती थी, जो उनके वेतन का एक निश्चित हिस्सा होती थी। वहीं नई पेंशन योजना में बाजार जोखिम भी होता है और पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती।

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पूरा मामला क्या है?

कुछ संविदा कर्मचारी जिन्होंने पहले सालों तक सरकारी काम संविदा पर किया और बाद में नियमित (स्थायी) किए गए, उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा था। इसका कारण था कि उनका नियमितीकरण 2005 के बाद हुआ, इसलिए सरकार उन्हें नई पेंशन योजना के तहत रख रही थी।

लेकिन इन कर्मचारियों का तर्क था कि उनकी असली नियुक्ति 2005 से पहले हुई थी, इसलिए वे पुरानी पेंशन योजना के हकदार हैं। इसके चलते उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला दिया। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और प्रवीण कुमार गिरी की बेंच ने कहा कि अगर किसी कर्मचारी की पहली नियुक्ति 2005 से पहले हुई है, तो उसे सिर्फ इसलिए पुरानी पेंशन योजना से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि सरकार ने उन्हें नियमित करने में देरी की।

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कोर्ट ने सरकार की दलील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि जो कर्मचारी 2005 के बाद नियमित हुए हैं, वे पुरानी पेंशन योजना के हकदार नहीं हैं।

इस फैसले से न केवल संविदा कर्मचारियों को राहत मिली है बल्कि यह साफ कर दिया गया है कि कर्मचारियों की गलती नहीं है अगर नियमितीकरण में देरी हुई है।

किन कर्मचारियों को मिलेगा फायदा?

यह मामला विशेष रूप से प्रयागराज नगर निगम के कुछ अवर अभियंताओं (Junior Engineers) से जुड़ा था। जिनका नाम इस केस में आया:

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  • चंद्र कुमार यादव
  • विनय कुमार सक्सेना
  • कृष्ण मोहन माथुर
  • सुरेश चंद्र लवड़िया

इन सभी कर्मचारियों को पहले संविदा पर काम किया था और बाद में अस्थायी नियुक्ति मिली थी। लेकिन नियमितीकरण में देरी की वजह से इन्हें नई पेंशन योजना के तहत रखा गया था।

अब कोर्ट के फैसले के बाद, इन्हें नियुक्ति की मूल तारीख से ही पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा।

इस फैसले का कर्मचारियों पर क्या असर होगा?

  1. आर्थिक सुरक्षा: पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद निश्चित मासिक पेंशन मिलेगी, जो उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
  2. कानूनी मान्यता: यह फैसला संविदा कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूती देता है और यह संदेश भी देता है कि कर्मचारियों की नियुक्ति की मूल तारीख महत्वपूर्ण होती है, न कि नियमितीकरण की तारीख।
  3. सरकार के लिए जिम्मेदारी: सरकार को अब संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण में हो रही देरी के कारण उनकी पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता। यह सरकार के लिए भी एक चेतावनी है कि उन्हें कर्मचारियों के हक का ध्यान रखना होगा।

पुरानी पेंशन योजना के फायदे और नई योजना से फर्क

  • पुरानी पेंशन योजना: कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन राशि मिलती है जो समय के साथ बढ़ती भी है। इसमें बाजार के उतार-चढ़ाव का कोई खतरा नहीं होता।
  • नई पेंशन योजना (NPS): इसमें कर्मचारी और सरकार दोनों की ओर से राशि जमा होती है, जो बाजार में निवेशित होती है। पेंशन की राशि बाजार के अनुसार तय होती है और निश्चित नहीं होती।

इसलिए कर्मचारी और उनकी फैमिली को पुरानी पेंशन योजना ज्यादा पसंद आती है क्योंकि इससे रिटायरमेंट के बाद स्थिरता मिलती है।

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कोर्ट ने क्यों दिया यह फैसला?

  • संविदा कर्मचारियों को लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था, जो उनके अधिकारों का हनन था।
  • कोर्ट ने माना कि कर्मचारियों की पहली नियुक्ति महत्वपूर्ण होती है, और यह कि सरकार की तरफ से हो रही देरी के कारण कर्मचारियों को नकारात्मक प्रभाव नहीं पहुंचाना चाहिए।
  • कोर्ट ने साफ किया कि कर्मचारियों की गलती नहीं कि नियमितीकरण में देरी हुई, इसलिए उन्हें पुरानी पेंशन योजना से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

भविष्य में क्या होगा?

यह फैसला एक मिसाल बन सकता है। अब देश के अन्य संविदा कर्मचारी भी इस दिशा में कदम उठा सकते हैं और अपने हक के लिए कोर्ट जा सकते हैं। यह सरकार के लिए भी एक संकेत है कि उन्हें कर्मचारियों के हितों का खास ध्यान रखना चाहिए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला संविदा कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत है। इससे कई संविदा कर्मचारी जो पेंशन की उम्मीद लगाए बैठे थे, उन्हें अब पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। यह फैसला न्याय की जीत है और कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूत करता है। अगर आप या आपके जानने वाले भी संविदा कर्मचारी हैं और आपको पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा, तो इस फैसले की मदद लेकर आप भी अपने अधिकार के लिए कदम उठा सकते हैं।

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