Home Loan – अगर आप भी अपना खुद का घर खरीदने का सपना देख रहे हैं और इसके लिए होम लोन लेने की सोच रहे हैं, तो रुकिए! सिर्फ EMI और ब्याज दर जान लेना काफी नहीं होता। असल सच्चाई तो इन दोनों के पीछे छिपे छह ऐसे चार्जेज में है, जो बैंक चुपचाप वसूल लेते हैं और आपको भनक तक नहीं लगती।
अब सवाल ये है कि क्या ये चार्ज वाजिब हैं? और इनसे कैसे बचा जाए या कम से कम पहले से तैयारी की जाए? आइए, आपको इन छिपे हुए चार्जों के बारे में विस्तार से बताते हैं, ताकि जब आप होम लोन लें, तो पूरा हिसाब-किताब समझदारी से हो।
1. लोन एप्लीकेशन चार्ज (Application/Login Fees)
होम लोन की शुरुआत यहीं से होती है – आवेदन करने से। लेकिन जैसे ही आप एप्लीकेशन सबमिट करते हैं, बैंक तुरंत एक एप्लीकेशन फीस या लॉगिन चार्ज ले लेता है।
अधिकतर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि यह छोटी रकम होती है (₹1000-₹5000 तक), लेकिन ये नॉन-रिफंडेबल होता है। अगर आपका लोन रिजेक्ट हो जाए, तब भी ये पैसा वापस नहीं मिलेगा।
कुछ बैंक इस चार्ज को प्रोसेसिंग फीस में मर्ज कर देते हैं, लेकिन कई बैंक अलग से वसूलते हैं। इसलिए लोन अप्लाई करने से पहले बैंक से यह ज़रूर पूछ लें कि एप्लीकेशन फीस अलग से है या नहीं।
2. लोन फोरक्लोजर चार्ज (Foreclosure/Prepayment Fees)
मान लीजिए आपने लोन लिया है 20 साल के लिए, लेकिन 10 साल में ही आप पूरा लोन चुका देते हैं। इस स्थिति में बैंक को ब्याज में जो फायदा मिलना था, वो नहीं मिल पाता।
इस नुकसान की भरपाई के लिए बैंक आपसे फोरक्लोजर या प्रीपेमेंट फीस लेता है।
हालांकि फ्लोटिंग रेट लोन पर RBI के नियमों के अनुसार ये चार्ज नहीं लिया जाता, लेकिन फिक्स्ड रेट लोन पर आज भी कई बैंक इसे लागू करते हैं। कुछ मामलों में यह चार्ज 1% से 4% तक हो सकता है।
3. स्विचिंग चार्ज (Switching Fees)
लोन लेते समय आपको फ्लोटिंग या फिक्स्ड रेट में से एक चुनना होता है। लेकिन अगर बीच में आपको लगे कि अब ब्याज दरें घट रही हैं और आप स्विच करना चाहें – तो बैंक इस पर भी चार्ज लेता है।
इस चार्ज को कहते हैं इंटरेस्ट रेट स्विचिंग फीस। इसकी राशि बैंक के नियमों पर निर्भर करती है, और यह भी ₹5000 से ₹25,000 तक हो सकती है।
अगर आप ब्याज दर में बदलाव चाहते हैं, तो पहले इसकी फीस और शर्तों को अच्छे से समझ लें।
4. रिकवरी चार्ज (Loan Recovery Charges)
अगर किसी कारणवश आप लोन की EMI नहीं भर पाते और अकाउंट NPA में चला जाता है, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को सीज़ और नीलाम करता है।
इस पूरी प्रक्रिया में जो खर्च आता है, जैसे वकील की फीस, कोर्ट फीस, नीलामी की प्रक्रिया आदि – वह सभी आपसे ही रिकवरी चार्ज के रूप में वसूल लिए जाते हैं।
यानि लोन न चुका पाने की स्थिति में केवल प्रॉपर्टी ही नहीं जाती, ऊपर से जेब पर और बोझ पड़ जाता है।
5. निरीक्षण कार्य की फीस (Inspection/Observation Fees)
जब आप लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू जांचने के लिए फिजिकल साइट विजिट करता है। इसके लिए बैंक के कर्मचारी या थर्ड पार्टी वैल्यूएटर आपकी प्रॉपर्टी की जांच करते हैं।
इसके लिए जो खर्च होता है, उसे कुछ बैंक प्रोसेसिंग फीस में जोड़ देते हैं, लेकिन कई बैंक इसे अलग से ऑब्जरवेशन फीस के रूप में वसूलते हैं।
इसका खर्च ₹1500 से ₹5000 तक हो सकता है। ध्यान दें, ये विज़िट ज़रूरी होती है लेकिन इसकी फीस छुपाकर ली जाती है।
6. कानूनी जांच की फीस (Legal Fees)
कोई भी बैंक बिना लीगल क्लियरेंस के आपको लोन नहीं देगा। वह प्रॉपर्टी के दस्तावेजों की पूरी कानूनी जांच कराता है – जैसे कि जमीन पर कोई केस तो नहीं, कोई विवाद या बंधक तो नहीं।
इस जांच के लिए जो वकील या लीगल टीम लगाई जाती है, उसकी फीस भी आपसे ही ली जाती है।
ये फीस भी कई बार प्रोसेसिंग चार्ज में एडजस्ट होती है, लेकिन अलग से ₹3000–₹10,000 तक भी ली जा सकती है।
क्या करें ताकि इन चार्ज से नुकसान न हो?
- बैंक से पूरी चार्ज लिस्ट लिखित में लें – कोई भी चार्ज अगर अनक्लियर है, तो पहले ही पूछ लें।
- बैंक की वेबसाइट पर “Home Loan Schedule of Charges” जरूर पढ़ें।
- लोन एप्लीकेशन से पहले चार्ज स्ट्रक्चर को कंपेयर करें। सिर्फ EMI कम होने से लोन सस्ता नहीं होता।
- प्रीपेमेंट और फोरक्लोजर से जुड़े नियम अच्छे से समझें।
होम लोन लेना जितना आसान लगता है, असल में उतना ही समझदारी भरा कदम है। EMI और ब्याज दरों के अलावा इन छुपे हुए चार्जेज को जानना बेहद जरूरी है, वरना आपकी जेब पर धीरे-धीरे अतिरिक्त बोझ पड़ता रहेगा।