Property Buying Mistakes – हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो, चाहे छोटा हो या बड़ा। घर को लेकर भावनाएं जुड़ी होती हैं—वो बच्चों की परवरिश का ठिकाना होता है, बुजुर्गों के लिए सुकून की जगह और हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी। लेकिन इस सपने को पूरा करते वक्त अगर थोड़ी भी जल्दबाज़ी या लापरवाही हो जाए, तो सपना टूट भी सकता है।
भारत में कई बार देखा गया है कि लोग प्रॉपर्टी खरीदते वक्त कुछ जरूरी बातें नजरअंदाज कर देते हैं और बाद में उन्हें बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है। नीचे हम ऐसी 6 आम लेकिन गंभीर गलतियों के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्हें लोग घर खरीदते समय अक्सर कर बैठते हैं। अगर आपने इनसे बचाव कर लिया, तो आपका घर का सपना न सिर्फ सुरक्षित रहेगा बल्कि चैन की नींद भी आएगी।
1. बिना पढ़े एग्रीमेंट पर साइन कर देना
बिल्डर जो भी एग्रीमेंट देता है, उस पर आंख मूंदकर साइन कर देना सबसे बड़ी गलती होती है। कई बार उसमें ऐसी शर्तें होती हैं जो एकतरफा होती हैं—जैसे कि बिल्डर किसी भी समय अलॉटमेंट कैंसिल कर सकता है, डिज़ाइन बदल सकता है या देरी होने पर भी कोई पेनाल्टी नहीं देनी होगी।
अगर आपने बिना समझे उस पर दस्तखत कर दिए, तो फिर RERA या कोर्ट भी आपकी ज्यादा मदद नहीं कर पाएंगे। हमेशा डॉक्यूमेंट को पढ़ें, समझें और ज़रूरत पड़े तो किसी अच्छे वकील से सलाह जरूर लें।
2. कैश में पेमेंट करना
बिल्डर के कहने पर कई लोग बुकिंग अमाउंट या टोकन मनी कैश में दे देते हैं ताकि “डिस्काउंट” मिल जाए या “बिल में कम दिखाया जाए”। लेकिन ये लॉन्ग टर्म में भारी पड़ सकता है।
अगर किसी कारण से प्रॉपर्टी की डील कैंसिल हो जाती है और आपने कैश में पैसा दिया था, तो उस पैसे को साबित करना नामुमकिन हो जाता है। ऐसे में ना RERA और ना ही कोर्ट आपकी मदद कर सकेगा। इसलिए हमेशा डिजिटल पेमेंट, चेक या बैंक ट्रांसफर का ही सहारा लें।
3. समय पर पेमेंट ना करना
होम लोन लेकर घर खरीदना एक बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। अगर आपने समय पर EMI नहीं चुकाई या बिल्डर को पेमेंट में देरी की, तो आगे चलकर दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
बिल्डर अपनी देरी के लिए आपको ज़िम्मेदार ठहरा सकता है और कोर्ट में मुआवजे की मांग करने पर आपकी स्थिति कमजोर हो सकती है। इसलिए घर खरीदने से पहले अपनी फाइनेंशियल स्थिति अच्छे से जांच लें और तभी आगे कदम बढ़ाएं।
4. पजेशन की नई तारीख को जल्दीबाज़ी में स्वीकार करना
अगर बिल्डर प्रोजेक्ट में देरी करता है और आप उसकी बताई हुई नई पजेशन डेट को मेल या मैसेज में स्वीकार कर लेते हैं, तो कानूनी रूप से माना जाएगा कि आपने देरी को मंजूरी दे दी है।
इससे आपकी मुआवजे की मांग कमज़ोर हो सकती है। इसलिए अगर बिल्डर पजेशन डेट आगे बढ़ाना चाहता है, तो बिना किसी लीगल सलाह के हामी ना भरें।
5. शिकायत करने में देर कर देना
RERA एक्ट के तहत आपको ये अधिकार है कि आप बिल्डर की शिकायत कर सकते हैं। लेकिन इसकी भी एक समयसीमा होती है। अगर आपने बहुत देर कर दी, तो आपकी शिकायत को स्वीकार करने से इनकार भी किया जा सकता है।
जैसे ही आपको लगे कि कुछ गड़बड़ है—बिल्डर काम में देरी कर रहा है, वादों से मुकर रहा है या डॉक्यूमेंट्स क्लियर नहीं हैं—तुरंत लिखित शिकायत करें। मौखिक बातचीत या व्हाट्सएप चैट का कोर्ट में कोई वजूद नहीं होता।
6. आकर्षक स्कीम्स पर आंख मूंदकर भरोसा करना
“हम देंगे EMI”, “रेंटल गारंटी”, “बिना ब्याज के लोन” जैसी स्कीम्स बहुत लुभावनी लगती हैं लेकिन इनका कोई कानूनी आधार नहीं होता। ये सिर्फ मार्केटिंग ट्रिक होती हैं।
RERA इन स्कीम्स को मान्यता नहीं देता। अगर बिल्डर ने बाद में पैसे देने से इनकार कर दिया, तो आप कुछ नहीं कर सकते। इसलिए कोई भी ऑफर हो, पहले उसकी कानूनी वैधता की जांच करें और फिर कोई फैसला लें।
घर खरीदना केवल पैसे की बात नहीं होती, यह एक भावनात्मक और कानूनी जिम्मेदारी भी होती है। अगर आप बिना सही जानकारी के कोई कदम उठाते हैं, तो बाद में पछताना पड़ सकता है।
इसलिए:
- हर डॉक्यूमेंट ध्यान से पढ़ें
- कैश में पेमेंट बिल्कुल न करें
- टाइम पर EMI दें
- कोई भी बदलाव बिना सलाह के ना स्वीकार करें
- समय रहते शिकायत करें
- स्कीम्स की सच्चाई जरूर जांचें
अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे, तो आपका घर खरीदने का अनुभव न सिर्फ सुखद होगा बल्कि एक मजबूत निवेश भी साबित होगा।