आपके इन 4 ट्रांजेक्शन पर इनकम टैक्स विभाग रखता है नजर – एक गलती और सीधा नोटिस Income Tax

By Prerna Gupta

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Income Tax – आजकल हर कोई डिजिटल पेमेंट का फैन है। UPI, गूगल पे, फोनपे, नेट बैंकिंग जैसी सुविधाएं होने के बाद लोग बटुए से ज़्यादा मोबाइल लेकर घूमते हैं। लेकिन इसके बावजूद कई लोग आज भी कैश लेन-देन को ज्यादा “सेफ” मानते हैं। खासकर वो लोग जो ये सोचते हैं कि “कैश में ट्रांजैक्शन किया तो इनकम टैक्स वालों को पता ही नहीं चलेगा” – लेकिन सच्चाई इससे काफी अलग है।

इनकम टैक्स विभाग की नजर अब पहले से ज़्यादा पैनी और डिजिटल हो गई है। चाहे आपने डिजिटल पेमेंट किया हो या कैश से, अगर आपने चार बड़ी चीज़ों में गड़बड़ की – तो विभाग तुरंत नोटिस भेज सकता है।

चलिए एक-एक करके समझते हैं कि कौन-से 4 ट्रांजैक्शन हैं जिन पर आयकर विभाग बहुत करीबी नजर रखता है और कैसे आप इससे बच सकते हैं।

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बैंक खाते में 10 लाख या उससे ज़्यादा की कैश जमा

अगर आप साल भर में अपने किसी एक बैंक अकाउंट या अलग-अलग खातों में कुल 10 लाख रुपये या उससे अधिक नकद जमा करते हैं, तो समझिए आप इनकम टैक्स की नजर में आ चुके हैं।

CBDT (Central Board of Direct Taxes) ने बैंकों को ये निर्देश दे रखा है कि इस तरह के हर कैश डिपॉजिट की रिपोर्ट वो इनकम टैक्स विभाग को भेजें।

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  • चाहे आपने बार-बार करके छोटे-छोटे अमाउंट जमा किए हों या एक बार में मोटी रकम, ट्रैकिंग होनी तय है।
  • अगर आपने जमा की गई रकम की सही जानकारी टैक्स रिटर्न में नहीं दी, या उसका स्रोत सही नहीं बताया, तो नोटिस आना तय है।

इससे बचने का तरीका क्या है?
जो भी पैसा जमा करें, उसका पूरा रिकॉर्ड और दस्तावेज (salary slip, property sale, business income आदि) रखें।

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कैश में 1 लाख रुपये या उससे अधिक की FD

अगर आपने 1 लाख या उससे ज्यादा की फिक्स्ड डिपॉजिट नकद में करवाई है, तो भी आप नजर में आ सकते हैं। बैंक को हर बड़ी FD की रिपोर्ट टैक्स विभाग को देनी होती है।

  • FD करते वक्त आपसे PAN कार्ड मांगा जाता है।
  • आपकी सालाना इनकम और FD की रकम में गड़बड़ी दिखी, तो सवाल जरूर उठेगा।

क्या करें?
अगर आपने कैश में FD करवाई है, तो उसकी इनकम सोर्स का डॉक्यूमेंट जरूर रखें और रिटर्न में उसकी जानकारी दें।

30 लाख या उससे अधिक की प्रॉपर्टी खरीद में कैश पेमेंट

भारत में प्रॉपर्टी खरीद में कैश चलन पुराना है, लेकिन अब ये टैक्स विभाग की सीधी नजर में आ चुका है।

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  • अगर आपने किसी फ्लैट, ज़मीन या दुकान की खरीद में 30 लाख रुपये या उससे अधिक का कैश पेमेंट किया है, तो रजिस्ट्री ऑफिस को इसकी सूचना इनकम टैक्स विभाग को देनी होती है।
  • बेनामी संपत्ति और ब्लैक मनी के खिलाफ यह सख्ती की गई है।

अगर आपकी घोषित आय कम है और आपने महंगी प्रॉपर्टी खरीद ली है – वो भी कैश में – तो विभाग सवाल जरूर करेगा।

बचने का तरीका?
RTGS, NEFT या चेक जैसे माध्यम से भुगतान करें और जो भी कैश पेमेंट करें, उसका सोर्स और उपयोग प्रूफ के साथ रखें।

क्रेडिट कार्ड का 1 लाख या उससे ज़्यादा का कैश पेमेंट

अब बात करते हैं उन लोगों की जो क्रेडिट कार्ड को “छुपा हुआ कैश यूज़ सिस्टम” मानते हैं। कई बार लोग क्रेडिट कार्ड का बिल कैश में चुका देते हैं, वो भी लाखों का – ताकि कोई हिसाब किताब ना दिखे।

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  • लेकिन अगर आपने एक बार में या एक साल में 1 लाख रुपये या उससे अधिक का कैश पेमेंट किया, तो बैंक इसकी भी रिपोर्ट भेज देता है।
  • इसके अलावा अगर आपका कुल खर्च साल में 10 लाख से ऊपर चला गया (EMI, प्रीमियम, कार्ड पेमेंट, SIP सब मिलाकर) तो विभाग उसकी जांच कर सकता है।

क्या करें?
बिलों का पेमेंट हमेशा डिजिटल या बैंक ट्रांसफर से करें और इनकम के अनुपात में खर्च रखें।

इनकम टैक्स का नोटिस मिल जाए तो क्या करें?

अगर गलती से या अनजाने में आपने कोई ऐसा ट्रांजैक्शन कर दिया है जो आय से मेल नहीं खाता और नोटिस आ गया है, तो घबराने की बजाय:

  • शांति से सभी जरूरी डॉक्यूमेंट इकट्ठा करें।
  • बैंक स्टेटमेंट, इनकम सोर्स, सैलरी स्लिप, प्रॉपर्टी सेल एग्रीमेंट जैसी चीजें सामने रखें।
  • जरूरत लगे तो किसी अनुभवी टैक्स कंसल्टेंट से मदद लें।

नोटिस का मतलब ये नहीं कि आपने अपराध कर लिया है। कई बार सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा जाता है।

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पारदर्शिता ही सबसे बड़ा हथियार है

इनकम टैक्स की नजरों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है – साफ-सुथरा और पारदर्शी फाइनेंशियल व्यवहार।

  • टैक्स रिटर्न समय पर भरें।
  • जितनी भी इनकम है, उसका सही डिक्लेरेशन करें।
  • जितना भी खर्च या निवेश करें, वो अपनी आय के मुताबिक करें और उसका पूरा रिकॉर्ड रखें।

इनकम टैक्स विभाग अब पहले से कहीं ज़्यादा स्मार्ट और डिजिटल हो चुका है। जो लोग अभी भी ये सोचते हैं कि “कैश लेन-देन से बचा जा सकता है”, उन्हें जल्द ही सच्चाई का सामना करना पड़ सकता है।

अगर आप ऊपर बताए गए 4 ट्रांजैक्शन कर रहे हैं – बिना इनकम सोर्स के स्पष्टीकरण के, तो सावधान हो जाइए। और हां, ईमानदारी से टैक्स भरना सिर्फ कानून का पालन नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक होने की पहचान है।

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Prerna Gupta

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