Registry Tax Increased – अगर आप भी अपने सपनों का घर खरीदने या फिर कोई ज़मीन लेने की सोच रहे हैं, तो पहले ये खबर ज़रूर पढ़ लें। क्योंकि सरकार ने अब रजिस्ट्री टैक्स में बड़ा बदलाव कर दिया है, जिससे घर खरीदना पहले से कहीं ज़्यादा महंगा हो गया है। वैसे भी मिडिल क्लास के लिए घर लेना आसान नहीं था और अब रजिस्ट्री टैक्स बढ़ने से लोगों की जेब पर और बोझ पड़ने वाला है।
चलिए, थोड़ा आराम से और कैजुअल अंदाज़ में समझते हैं कि ये रजिस्ट्री टैक्स क्या है, इसमें क्या बदलाव हुआ है और ये सब हमारे ऊपर कैसे असर डालेगा।
सबसे पहले समझिए – रजिस्ट्री टैक्स आखिर होता क्या है?
जब आप कोई ज़मीन, फ्लैट या मकान खरीदते हैं, तो सिर्फ प्रॉपर्टी की कीमत चुकाने से बात पूरी नहीं होती। आपको सरकारी रिकॉर्ड में रजिस्ट्री करवाने के लिए एक फीस भी देनी पड़ती है। इसी फीस को रजिस्ट्री टैक्स या स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज कहते हैं।
ये सरकार के लिए एक तरह की कमाई होती है और इसे हर राज्य अपने हिसाब से वसूलता है। यानी, कहीं 5% तो कहीं 8% तक भी ये टैक्स हो सकता है।
अब क्या नया बदलाव हुआ है?
कुछ राज्यों ने हाल ही में रजिस्ट्री टैक्स बढ़ा दिया है। अब ज़मीन या घर खरीदने पर आपको ज़्यादा टैक्स देना होगा। मसलन:
- उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ये टैक्स 6% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया है।
- मध्य प्रदेश में ये 5% से बढ़कर 6% हो गया है।
- दिल्ली NCR में पहले से 6% स्टांप ड्यूटी लागू है, लेकिन महिलाओं को मिलने वाली छूट को अब सीमित किया जा रहा है।
मतलब ये कि अगर आप 50 लाख रुपये की कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो पहले 3 लाख रुपये टैक्स देना होता था, अब वो बढ़कर करीब 3.5 लाख रुपये हो गया है।
सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?
अब आप सोच रहे होंगे कि सरकार को अचानक टैक्स बढ़ाने की क्या ज़रूरत पड़ गई? तो इसकी वजहें कुछ इस तरह हैं:
- सरकारी राजस्व में गिरावट – रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी चल रही थी, जिससे सरकार को मिलने वाला टैक्स कम हो गया था।
- राजस्व बढ़ाने की चाल – सरकारें स्टांप ड्यूटी को एक आसान कमाई का जरिया मानती हैं।
- पिछले कुछ समय में निवेश कम हुआ था, जिसे देखकर सरकार ने टैक्स बढ़ाकर घाटा पूरा करने की कोशिश की है।
आम आदमी की जेब पर सीधा असर
अब इसका असर सबसे ज़्यादा किस पर पड़ेगा? मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास पर। पहले से ही बढ़ती महंगाई, महंगे होम लोन, और कंस्ट्रक्शन कॉस्ट ने आम आदमी को परेशान कर रखा है। ऊपर से अब रजिस्ट्री टैक्स भी बढ़ गया है।
छोटा घर लेने की सोच रखने वाले लोग भी अब दो बार सोचेंगे। जो लोग पहले 1-2 लाख रुपये एडवांस में देने की स्थिति में थे, उन्हें अब शायद 3-4 लाख रुपये तक का इंतज़ाम करना होगा।
रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ेगा क्या असर?
वैसे भी रियल एस्टेट सेक्टर ने पिछले कुछ सालों में कई झटके झेले हैं – जैसे नोटबंदी, GST, RERA और फिर कोविड। अब जब बाजार थोड़ा संभल रहा था, तभी रजिस्ट्री टैक्स बढ़ा दिया गया।
इससे नए खरीदारों की संख्या घट सकती है। बिल्डर्स को अपने प्रोजेक्ट बेचने में दिक्कत होगी और नई परियोजनाएं लेट हो सकती हैं। सीधे शब्दों में कहें, तो रियल एस्टेट की रफ्तार फिर से धीमी हो सकती है।
क्या महिलाओं को मिलती छूट अब भी रहेगी?
पहले कई राज्यों में महिलाओं को स्टांप ड्यूटी में 1% से 2% की छूट मिलती थी ताकि उन्हें प्रॉपर्टी खरीदने में बढ़ावा मिल सके। लेकिन अब कुछ राज्यों ने इस छूट को या तो हटा दिया है या सीमित कर दिया है।
इसका मतलब ये है कि अगर महिला खुद के नाम पर प्रॉपर्टी खरीद रही है, तो उसे भी वही टैक्स भरना पड़ेगा जो पुरुषों को देना होता है। इससे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।
क्या टैक्स से बचने का कोई तरीका है?
देखिए, रजिस्ट्री टैक्स से पूरी तरह बचा नहीं जा सकता क्योंकि ये कानूनन लागू होता है। लेकिन कुछ छोटे-छोटे उपायों से आप थोड़ी राहत पा सकते हैं:
- सर्कल रेट और बाजार रेट की तुलना करें।
- प्रॉपर्टी नेगोसिएट करते वक्त रजिस्ट्री चार्ज को ध्यान में रखें।
- महिला के नाम से प्रॉपर्टी लेने पर कहीं छूट मिले तो उसका फायदा उठाएं।
- खरीदने से पहले संबंधित राज्य के रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट की वेबसाइट ज़रूर चेक करें।
सरकार का ये नया फैसला आम जनता के लिए थोड़ा भारी पड़ सकता है। प्रॉपर्टी खरीदने की योजना बनाने से पहले आपको अब ज्यादा प्लानिंग करनी होगी। खासकर अगर आप EMI और एडवांस की गणना कर रहे हैं, तो रजिस्ट्री टैक्स के बढ़े हुए रेट को जरूर शामिल करें।
समझदारी इसी में है कि खरीदने से पहले पूरी जानकारी ली जाए, बजट तय किया जाए और सारे खर्चों को लेकर स्पष्ट योजना हो।