90% लोग करते हैं ये गलती! चेक के पीछे साइन कब करना है, जानिए सही तरीका Bank Cheque Rule

By Prerna Gupta

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Bank Cheque Rule

Bank Cheque Rule – डिजिटल जमाना आ चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी चेक का इस्तेमाल आज भी बड़े लेन-देन और सरकारी कामों में खूब होता है। खासतौर पर जब रकम बड़ी होती है, तब लोग UPI या मोबाइल वॉलेट के बजाय भरोसेमंद चेक से ही ट्रांजैक्शन करना पसंद करते हैं। लेकिन एक सवाल जो अक्सर लोगों को कन्फ्यूज करता है – क्या चेक के पीछे साइन करना जरूरी है? और अगर हां, तो कब?

चेक के कितने प्रकार होते हैं और इनका क्या मतलब है?

बैंकों में आम तौर पर तीन तरह के चेक इस्तेमाल किए जाते हैं – बेयरर चेक, ऑर्डर चेक और पेयी चेक। बेयरर चेक वो होता है जिसे कोई भी व्यक्ति बैंक में जाकर कैश करवा सकता है, बस वो चेक लेकर बैंक पहुंच जाए। ऑर्डर चेक में रिसीवर का नाम लिखा होता है, यानी वो चेक सिर्फ उसी को मिलेगा जिसका नाम उस पर है। पेयी चेक सबसे सुरक्षित होता है – इसमें दो लाइनें लगी होती हैं, जिससे ये सिर्फ बैंक अकाउंट में जमा होता है, कैश में नहीं मिलता।

बेयरर चेक और पीछे साइन की अहमियत

अगर आपके पास बेयरर चेक है, तो उसके पीछे साइन करना जरूरी होता है। क्योंकि इसमें किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं लिखा होता, तो किसी के भी हाथ लगने पर इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। इसलिए जब आप ऐसे चेक के पीछे साइन करते हैं, तो यह उस ट्रांजैक्शन को वैध बना देता है। बैंक कर्मचारी इस साइन को देखकर ही तय करते हैं कि पैसा सही हाथ में जा रहा है या नहीं।

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ऑर्डर और पेयी चेक के लिए नियम थोड़े अलग

ऑर्डर और पेयी चेक में रिसीवर का नाम लिखा होता है, इसलिए इन चेक के पीछे साइन करना जरूरी नहीं होता। लेकिन अगर आप उस चेक को किसी और को ट्रांसफर करना चाहते हैं, तो पीछे साइन करना पड़ेगा और उस व्यक्ति का नाम भी लिखना होगा। ये नियम इसलिए हैं ताकि चेक से जुड़ी हर प्रक्रिया सुरक्षित और ट्रेस की जा सके।

बड़ी रकम वाले चेक के साथ ज्यादा सतर्कता

अगर चेक की राशि ₹50,000 से ज्यादा है, तो बैंक और भी सावधानी बरतते हैं। ऐसे मामलों में बैंक आधार, पैन कार्ड या कोई और सरकारी ID भी मांग सकता है। कई बार खाताधारक को फोन करके भी वेरिफिकेशन किया जाता है। ये सब मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी से बचाव के लिए होता है।

चेक बाउंस न हो, इसके लिए क्या ध्यान रखें

चेक बाउंस होने से काफी झंझट हो सकता है। इससे बचने के लिए ये बातें ध्यान में रखें – खाते में पर्याप्त बैलेंस होना चाहिए, चेक तीन महीने से पुराना न हो, तारीख सही हो और साइन क्लियर हो। चेक पर कटिंग या करेक्शन से भी बचें। अगर गलती हो जाए, तो नया चेक जारी करना ही बेहतर है।

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भविष्य में चेक का क्या रोल रहेगा?

भले ही UPI और डिजिटल ट्रांजैक्शन ने काफी कुछ बदल दिया हो, लेकिन चेक का रोल अभी भी मजबूत बना हुआ है। सरकारी कामों, ऑफिसियल लेन-देन और कानूनी मामलों में चेक को सबसे ज्यादा भरोसेमंद दस्तावेज माना जाता है। आने वाले समय में चेक और ज्यादा सुरक्षित हो सकते हैं – जैसे डिजिटल वेरिफिकेशन या QR कोड वाली तकनीक। फिलहाल, चेक का इस्तेमाल कम तो हुआ है, लेकिन खत्म नहीं।

Disclaimer 

यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। चेक से जुड़े नियम बैंक दर बैंक अलग हो सकते हैं। किसी भी चेक का उपयोग करने से पहले अपने बैंक की पॉलिसी जानना बेहतर होता है। यह लेख किसी कानूनी या वित्तीय सलाह का विकल्प नहीं है।

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Prerna Gupta

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