Cheque Bounce Rules – अगर आप भी किसी को चेक देकर सोचते हैं कि “अभी पैसे नहीं हैं, बाद में देख लेंगे”, तो अब सावधान हो जाइए। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों को लेकर सख्त रवैया अपना लिया है। अब चेक बाउंस कोई हल्की-फुल्की गलती नहीं बल्कि सीधा आपराधिक अपराध माना जाएगा। कोर्ट ने साफ कहा है कि ऐसे मामलों में तुरंत सुनवाई हो, दोषी को सजा मिले और फालतू की ढील न दी जाए।
इस आर्टिकल में हम आपको बहुत ही आसान और सीधे तरीके से समझाएंगे कि नया नियम क्या है, किसे बचना चाहिए और किसे क्या करना चाहिए।
चेक बाउंस क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति या कंपनी किसी को पेमेंट करने के लिए बैंक का चेक देता है, और वह चेक बैंक में जाकर पास नहीं होता यानी डिशऑनर हो जाता है, तो उसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसका मतलब ये है कि चेक देने वाले के अकाउंट में पैसे नहीं थे, या फिर कुछ तकनीकी वजह से चेक क्लियर नहीं हुआ।
चेक बाउंस होने की आम वजहें
- अकाउंट में बैलेंस न होना – सबसे बड़ी और कॉमन वजह।
- गलत सिग्नेचर – अगर आपके हस्ताक्षर मेल नहीं खा रहे।
- पुराना चेक – 3 महीने से ज्यादा पुराने चेक मान्य नहीं होते।
- स्टॉप पेमेंट – जानबूझकर पेमेंट रोक देना।
- खाता बंद होना – बंद खाते से चेक देना गैरकानूनी है।
- ओवरराइटिंग या कटिंग – अगर चेक पर लिखावट में गड़बड़ है।
नया सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या कहता है?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि:
- अब ऐसे केस लटकाए नहीं जाएंगे। कोर्ट का आदेश है कि चेक बाउंस मामलों की सुनवाई तेजी से होनी चाहिए।
- अगर आरोप साबित होता है, तो सीधे 2 साल तक की जेल, या दोगुना जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
- कोर्ट अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए भी गवाही ले सकती है, जिससे केस जल्दी निपट सके।
- अगर दोनों पक्ष आपसी समझौता करना चाहें, तो एक तय समय में ऐसा किया जा सकता है।
कानून क्या कहता है?
भारतीय कानून के अनुसार, चेक बाउंस एक अपराध है और इसे Negotiable Instruments Act की धारा 138 के तहत लिया जाता है। इस धारा के तहत:
- 2 साल तक की सजा हो सकती है।
- या चेक की रकम का दोगुना जुर्माना देना पड़ सकता है।
- या फिर दोनों सजाएं भी एक साथ मिल सकती हैं।
शिकायत कब और कैसे दर्ज की जा सकती है?
- चेक बाउंस होने के 30 दिनों के भीतर आरोपी को नोटिस भेजना जरूरी है।
- अगर नोटिस भेजने के 15 दिन के अंदर पेमेंट नहीं किया गया, तो फिर केस दायर किया जा सकता है।
- केस दायर करने की समयसीमा बहुत अहम होती है, नहीं तो केस खारिज हो सकता है।
अगर आपका चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?
अगर आपसे गलती हो गई है या चेक किसी वजह से बाउंस हो गया है, तो घबराने की बजाय कुछ स्मार्ट कदम उठाइए:
- जल्दी से पार्टी से संपर्क करें और समझौते की कोशिश करें।
- अगर वाकई में बैंक की तकनीकी गलती है, तो उसका सबूत दिखाएं।
- बैंक स्टेटमेंट, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड रखें ताकि कोर्ट में अपना पक्ष रख सकें।
- किसी अनुभवी वकील से सलाह लें ताकि आप सही समय पर सही कदम उठा सकें।
आम लोगों के लिए जरूरी सावधानियां
- चेक देने से पहले अकाउंट में पैसे जरूर रखें।
- चेक पर सही तारीख और साफ-सुथरी लिखावट होनी चाहिए।
- किसी को चेक देने से पहले उसकी एक फोटो या कॉपी अपने पास रखें।
- अगर किसी ने आपको चेक दिया है, तो उसे 3 महीने के अंदर बैंक में जमा करें।
- स्टॉप पेमेंट से बचें, जब तक कोई बहुत जरूरी कारण न हो।
डिजिटल पेमेंट: एक बेहतर विकल्प?
आजकल कई लोग UPI, NEFT, IMPS जैसे डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे ट्रांजैक्शन में चेक बाउंस जैसी परेशानी नहीं होती और सब कुछ ट्रैक पर रहता है। अगर आप बार-बार चेक से लेन-देन करते हैं, तो अब समय है कि डिजिटल पेमेंट की ओर कदम बढ़ाएं।
सुप्रीम कोर्ट के इस नए निर्देश के बाद अब चेक बाउंस करने वालों को राहत नहीं मिलेगी। पहले लोग सोचते थे कि कोर्ट में केस डाल दो, सालों लग जाएंगे – लेकिन अब नहीं। कोर्ट का साफ संदेश है कि ईमानदारी से लेन-देन करें, नहीं तो कानून सख्ती से निपटेगा।
अगर आप चेक जारी करने वाले हैं, तो ज़रा भी लापरवाही मत करें। और अगर आपको चेक मिला है और वो बाउंस हो गया है, तो अपने अधिकार के लिए कार्रवाई जरूर करें।