Court Decision On Wife Named Property – अगर आप भी अपने घर या जमीन को पत्नी के नाम रजिस्ट्री कराने की सोच रहे हैं, तो पहले ये खबर जरूर पढ़ लें। हाल ही में हाई कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने लाखों लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री सिर्फ पत्नी के नाम पर है, तो उस पर पति का कोई कानूनी हक नहीं रहेगा, चाहे उसने घर खरीदने के लिए पूरा पैसा ही क्यों न दिया हो।
क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट के अनुसार, अगर पति ने अपने पैसे से पत्नी के नाम पर घर लिया है लेकिन रजिस्ट्री में खुद को मालिक नहीं दिखाया, तो वो उस घर पर दावा नहीं कर सकता। जब तक पति यह साबित नहीं करता कि वो भी उस प्रॉपर्टी में कानूनी रूप से साझेदार है या कोई सह-मालिकाना दस्तावेज उसके पास है, तब तक वो उस घर पर अधिकार नहीं जताया जा सकता।
अब सोचिए, देश में कितने ही लोग टैक्स बचाने के लिए या सामाजिक वजहों से पत्नी के नाम घर खरीदते हैं। अब अगर आगे चलकर पति-पत्नी के बीच कोई विवाद हो जाए या तलाक जैसी स्थिति आ जाए, तो उस घर को लेकर बड़ा पेंच फंस सकता है।
बेनामी संपत्ति कानून भी लागू होगा
इस फैसले से एक और चीज साफ हो गई है – अगर कोई व्यक्ति किसी और के नाम से संपत्ति खरीदता है, जबकि असल मालिक खुद है, तो वो मामला ‘बेनामी संपत्ति’ की कैटेगरी में आ जाता है। बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम 1988 के तहत ऐसी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं और इसमें कड़ी सजा का भी प्रावधान है।
इसलिए अब सिर्फ पैसा देने से कोई संपत्ति आपकी नहीं मानी जाएगी जब तक दस्तावेजों में आप खुद को मालिक नहीं दिखाते।
तो अब क्या करें?
अगर आप भविष्य में किसी परेशानी से बचना चाहते हैं और फिर भी पत्नी के नाम पर ही घर खरीदना चाहते हैं, तो कुछ जरूरी कदम उठाएं:
- रजिस्ट्री में दोनों का नाम डालें: अगर आप दोनों उस संपत्ति में बराबर के हकदार हैं, तो रजिस्ट्री में दोनों के नाम होना बहुत जरूरी है।
- पेमेंट से जुड़े डॉक्यूमेंट रखें: अगर आपने पेमेंट किया है, तो उसकी रसीद, बैंक ट्रांजैक्शन या लोन के दस्तावेज संभाल कर रखें।
- MoU (समझौता पत्र) तैयार करें: एक सिंपल MoU बनवाएं जिसमें ये साफ लिखा हो कि किसका कितना हिस्सा है और कौन भुगतान कर रहा है।
टैक्स बचाने के चक्कर में न फंसें
बहुत से लोग सिर्फ टैक्स बचाने के लिए पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन ये चाल अब उलटी भी पड़ सकती है। क्योंकि अगर दस्तावेज मजबूत नहीं हैं और रजिस्ट्री में सिर्फ पत्नी का नाम है, तो बाद में आपका कोई हक नहीं रह जाएगा। इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले टैक्स एक्सपर्ट या वकील से सलाह जरूर लें।
महिलाओं के लिए राहत की खबर
इस फैसले से महिलाओं को मजबूती मिली है। अब अगर किसी महिला के नाम पर प्रॉपर्टी है, तो उसे लेकर कोई दूसरा दावा नहीं कर सकता जब तक कि वैध दस्तावेज न हो। इससे महिला की कानूनी सुरक्षा और संपत्ति पर हक सुनिश्चित होता है, खासकर तब जब रिश्तों में दरार आ जाए।
अब वक्त आ गया है कि प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों को हल्के में न लिया जाए। कोर्ट का यह फैसला बताता है कि रजिस्ट्री में जिसका नाम है, उसी का घर माना जाएगा। चाहे आपने पेमेंट किया हो या नहीं, बिना सबूत या सहमति के आपके हक को मान्यता नहीं मिलेगी।
इसलिए समझदारी इसी में है कि जब भी आप घर खरीदें, तो सभी कागजात सही और पारदर्शी तरीके से तैयार करवाएं। ताकि आगे चलकर कोई कानूनी मुसीबत न आए और रिश्तों में भी कोई खटास न पडे़।