शिक्षकों की बल्ले-बल्ले! शिक्षा विभाग ने गर्मी की छुट्टियों को लेकर किया बड़ा ऐलान – Education Department Update

By Prerna Gupta

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Education Department Update – सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए इस बार की गर्मी की छुट्टियां खास बन गई हैं। वजह है राज्य के शिक्षा विभाग का एक बड़ा और स्वागत योग्य फैसला, जिसके मुताबिक अब गर्मी की छुट्टियों में किसी भी शिक्षक को कोई ड्यूटी नहीं दी जाएगी। यह खबर आते ही राज्यभर के शिक्षक संगठनों और शिक्षकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

हर साल की तरह इस बार भी गर्मियों की छुट्टियां घोषित की गई हैं, लेकिन खास बात ये है कि इस बार छुट्टियों को वास्तव में “छुट्टी” की तरह मनाने का मौका मिलेगा। वर्षों से शिक्षकों को छुट्टियों के नाम पर अलग-अलग सरकारी कार्यों में उलझा दिया जाता था – कभी चुनाव, कभी प्रशिक्षण, कभी सर्वे, तो कभी स्कूल से संबंधित कार्य। लेकिन अब इस पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया गया है।

आदेश क्या कहता है?

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) को यह आदेश भेज दिया है कि गर्मी की छुट्टियों में किसी भी शिक्षक को स्कूल या अन्य किसी कार्य के लिए नहीं बुलाया जाएगा। यह आदेश साफ तौर पर कहता है कि शिक्षक अपना अवकाश अपने परिवार और मानसिक विश्राम के लिए उपयोग करें।

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यह आदेश 2 जून 2025 से 20 जून 2025 तक लागू रहेगा, यानी इस 19 दिन के अवकाश के दौरान शिक्षकों को पूरी छुट्टी दी जाएगी।

परिवार के साथ समय बिताने की सलाह

डॉ. सिद्धार्थ ने शिक्षकों को सलाह दी है कि वे इस समय का उपयोग अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने में करें। उन्होंने शिक्षकों को घूमने-फिरने की सलाह भी दी है ताकि जब नया सत्र शुरू हो, तो वे पूरी ऊर्जा और ताजगी के साथ वापस क्लासरूम में लौटें।

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क्यों लिया गया यह फैसला?

पिछले कुछ सालों से कई जिलों में शिकायतें आ रही थीं कि शिक्षकों को गर्मी की छुट्टियों में भी चैन नहीं मिलता। कभी उन्हें चुनाव ड्यूटी पर बुला लिया जाता, कभी प्रशिक्षण कार्यक्रम या फिर सर्वेक्षण कार्य में लगाया जाता। इससे छुट्टियों का असली मकसद ही खत्म हो जाता था।

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इसकी वजह से:

  • शिक्षकों की मानसिक थकावट बढ़ती जा रही थी
  • वे अपने परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाते थे
  • नई पढ़ाई की तैयारी भी ठीक से नहीं कर पाते थे

इन सब समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया, जो वास्तव में शिक्षकों के हक में है।

स्कूल तो बंद रहेंगे, लेकिन…

यह भी बताया गया है कि छुट्टियों के दौरान प्रधानाध्यापक या प्रभारी प्रधानाध्यापक की उपस्थिति अनिवार्य होगी ताकि स्कूल के जरूरी प्रशासनिक काम पूरे किए जा सकें। जैसे रजिस्टर मेंटेन करना, भवन की निगरानी, स्कूल से जुड़ी सरकारी पत्राचार आदि।

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बाकी शिक्षकों को छुट्टियों के दौरान किसी प्रकार की उपस्थिति नहीं देनी होगी।

गणितीय समर कैंप की व्यवस्था

हालांकि, शिक्षा विभाग ने एक खास पहल की शुरुआत की है – गणितीय समर कैंप। यह कैंप खासतौर पर कक्षा 5वीं से 6वीं तक के कमजोर छात्रों के लिए आयोजित किया जाएगा। इसमें करीब 12 लाख बच्चे भाग लेंगे।

खास बात ये है कि इन कैंप्स में शिक्षकों की भागीदारी स्वैच्छिक होगी, यानी कोई शिक्षक अगर खुद से बच्चों को पढ़ाना चाहे, तो ही वह हिस्सा ले सकता है। कोई भी शिक्षक मजबूरन इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।

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शिक्षकों की प्रतिक्रिया

इस फैसले से शिक्षकों में जबरदस्त संतोष और राहत है। कई शिक्षक संगठनों ने इस फैसले का तहेदिल से स्वागत किया है और इसे शिक्षकों के हित में एक ऐतिहासिक कदम बताया है।

शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने पहली बार उनकी परेशानियों को गंभीरता से लिया है। जब एक शिक्षक मानसिक रूप से स्वस्थ होता है और निजी जीवन में संतुलन बना पाता है, तभी वह बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकता है।

क्या यह पहल दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण बनेगी?

बिलकुल। बिहार सरकार का यह फैसला उन राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है, जहां शिक्षकों को छुट्टियों के दौरान भी काम में झोंक दिया जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार सिर्फ पाठ्यक्रम बदलने से नहीं होता, बल्कि शिक्षकों को मानसिक शांति देना भी उतना ही जरूरी है।

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जब शिक्षक खुद खुश और तनावमुक्त होंगे, तभी वह छात्रों को भी उसी ऊर्जा और उत्साह के साथ पढ़ा सकेंगे।

बिहार शिक्षा विभाग का यह फैसला एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम है। यह न केवल शिक्षकों को उनका हक देने का काम करता है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को भी बेहतर बनाने का प्रयास है।

छुट्टी मतलब छुट्टी – इस सोच को अब सच में जमीन पर उतारा गया है। शिक्षकों को केवल काम की मशीन नहीं समझा गया, बल्कि एक इंसान समझा गया है – जिसकी मानसिक और पारिवारिक जरूरतें भी अहम हैं।

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