EMI Bounce – आजकल ज़्यादातर लोग गाड़ी खरीदने के लिए बैंक से लोन लेते हैं। लेकिन अगर किसी महीने आपकी EMI मिस हो जाए या कुछ महीने तक लगातार पेमेंट न कर पाएं, तो बैंक या फाइनेंस कंपनी रिकवरी एजेंट भेज देती है। कई बार ये एजेंट सीधे गाड़ी उठा ले जाते हैं, जिससे आम आदमी डर जाता है और उसे समझ नहीं आता कि अब क्या करे। लेकिन आपको जानना चाहिए कि ऐसे हालात में भी आपके पास कुछ कानूनी अधिकार होते हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप अपने वाहन और आत्मसम्मान – दोनों को बचा सकते हैं।
ईएमआई बाउंस होने पर बैंक क्या करता है?
अगर आपकी एक या दो EMI मिस हो जाती है तो बैंक पहले आपको कॉल करता है, मैसेज भेजता है और ईमेल या नोटिस के जरिए रिक्वेस्ट करता है कि पेमेंट कर दीजिए। जब बार-बार कहने पर भी पेमेंट नहीं होती, तभी बैंक रिकवरी एजेंट को एक्टिव करता है। लेकिन सीधा गाड़ी उठाना भी हर बार जायज नहीं होता। साथ ही, लोन गारंटर को भी इस मामले में इन्वॉल्व किया जा सकता है।
NPA बनते ही बढ़ जाती है बैंक की सख्ती
अगर आप लगातार 3 ईएमआई नहीं भरते, तो बैंक उस लोन को “Non-Performing Asset” यानी NPA घोषित कर देता है। इसका सीधा असर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है, जिससे आगे लोन मिलना मुश्किल हो सकता है। NPA बनने के बाद बैंक की रिकवरी प्रोसेस तेज हो जाती है और मामला वाहन जब्ती तक पहुंच जाता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप वक्त रहते बैंक से बात करें।
रिकवरी एजेंट कैसे उठाते हैं गाड़ी?
NPA घोषित होने के बाद बैंक रिकवरी एजेंट भेजता है, जो कुछ पेपर्स पर साइन करवाकर गाड़ी उठा ले जाते हैं। कई बार वे बिना सही दस्तावेज़ दिखाए या धमकी देकर गाड़ी ले जाते हैं, जो पूरी तरह गलत है। वाहन उठाने के बाद भी बैंक आपको 30 दिन का समय देता है, जिसमें अगर आप बकाया ईएमआई, पेनल्टी और पार्किंग चार्ज भर दें, तो गाड़ी वापस मिल सकती है। लेकिन ये पूरी प्रक्रिया काफी खर्चीली और तनाव भरी होती है।
आपके पास हैं ये अहम अधिकार
आपको जानकर हैरानी होगी कि भले ही आपकी EMI मिस हो गई हो, लेकिन कोई भी एजेंट जबरदस्ती आपकी गाड़ी नहीं ले जा सकता। अगर ऐसा होता है तो आप पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। दूसरा, एजेंट आपके साथ गाली-गलौज या डराने की कोशिश नहीं कर सकता। तीसरा, वो आपकी फाइनेंशियल जानकारी किसी और से शेयर नहीं कर सकता – ये केवल लोन धारक और गारंटर के बीच की बात होती है।
रिकवरी एजेंट के लिए भी है टाइम लिमिट
बैंक या एजेंट आपको सुबह 7 बजे से पहले या रात 7 बजे के बाद परेशान नहीं कर सकते। अगर कोई एजेंट इन समय सीमाओं का उल्लंघन करता है या बार-बार कॉल करके मानसिक दबाव बनाता है, तो आप इसकी शिकायत सीधे बैंक या बैंकिंग लोकपाल से कर सकते हैं। यह नियम आपकी निजता और मानसिक शांति को बनाए रखने के लिए बनाया गया है।
बैंक से बात करें, राहत मिल सकती है
अगर आप वाकई आर्थिक तंगी में हैं तो सबसे पहले बैंक से खुलकर बात करें। अपनी स्थिति बताएं और EMI भरने के लिए थोड़ा और समय मांगें। ज़्यादातर मामलों में बैंक थोड़ा वक्त दे देते हैं, हालांकि इसके लिए कुछ अतिरिक्त ब्याज या पेनल्टी लग सकती है। फिर भी ये बेहतर है बजाए गाड़ी खोने और क्रेडिट स्कोर खराब कराने के।
गलत बर्ताव होने पर करें शिकायत
अगर किसी रिकवरी एजेंट ने आपको धमकाया, बदतमीजी की या नियम तोड़ा, तो आप सबसे पहले उस बैंक में शिकायत करें। अगर वहां से समाधान न मिले तो बैंकिंग लोकपाल या पुलिस तक भी मामला जा सकता है। आप बातचीत की रिकॉर्डिंग, कॉल लॉग और बाकी सबूत भी संभालकर रखें – ये सब आपकी शिकायत को मजबूत बनाते हैं।
लोन लेते वक्त रखें कुछ सावधानियां
कभी भी अपनी आमदनी से ज्यादा लोन न लें। हर महीने EMI टाइम पर भरने की प्लानिंग करें। अगर किसी महीने परेशानी हो, तो छिपाने के बजाय बैंक से बात करें। रिकवरी एजेंट के साथ व्यवहार में संयम रखें लेकिन अपने अधिकारों पर भी अडिग रहें।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। EMI, रिकवरी और लोन से जुड़े कानूनी मामलों में सटीक सलाह के लिए किसी पेशेवर कानूनी सलाहकार या बैंक प्रतिनिधि से संपर्क करना ज़रूरी है। अलग-अलग संस्थानों की शर्तें अलग हो सकती हैं।