अब बेटियों नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा – जानिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला Father Property Daughter Claim

By Prerna Gupta

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Father Property Daughter Claim

Father Property Daughter Claim – हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने देशभर में बहस छेड़ दी है। मुद्दा यह है कि क्या बेटियां अब अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं ले पाएंगी? इस फैसले के बाद कई लोग उलझन में हैं कि क्या वाकई बेटियों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है या बात कुछ और है। चलिए इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला एक महिला से जुड़ा है जिसने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति पर दावा किया था। महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि वह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत अपने पिता की अचल संपत्ति की बराबर की हकदार है। लेकिन मामला इस बात पर फंस गया कि जो संपत्ति है, वो पिता की खुद की कमाई से अर्जित थी या पैतृक थी।

कोर्ट का तर्क – कब नहीं मिलता बेटी को हिस्सा?

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई संपत्ति पिता ने खुद कमाई है यानी वह स्व-अर्जित है, तो उस पर किसी का हक नहीं बनता जब तक कि पिता ने वसीयत में उसका नाम न लिखा हो। पिता चाहे तो उस संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकते हैं — चाहे वो बेटा हो, बेटी हो या कोई और। अगर वसीयत नहीं है और मृत्यु 2005 के पहले हो गई है, तो बेटी का दावा कमजोर हो सकता है।

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कोर्ट ने किन बातों पर जोर दिया?

सुप्रीम कोर्ट ने 9 ऐसे पॉइंट गिनाए जिनके आधार पर यह फैसला दिया गया:

  1. खुद की कमाई हुई संपत्ति पर उत्तराधिकार तभी बनता है जब वसीयत न हो।
  2. वसीयत में जिसका नाम है, उसे ही संपत्ति मिलेगी।
  3. 2005 का जो कानून आया था, वह सिर्फ पैतृक संपत्ति पर लागू होता है।
  4. अगर बेटी की शादी पिता की मृत्यु से पहले हो गई हो तो भी उसका असर हो सकता है।
  5. पिता के जिंदा रहते कोई दावा कोर्ट संदेह से देख सकती है।
  6. अदालत में दस्तावेजों के आधार पर ही फैसला होता है।
  7. कानूनी बंटवारे की मान्यता जरूरी है।
  8. मेहनत से अर्जित संपत्ति पर दावा सीमित होता है।
  9. भले कानून बदले हों, लेकिन उनका प्रभाव परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

कानून क्या कहता है?

Hindu Succession Act 1956 के तहत बेटियों को पैतृक संपत्ति में अधिकार है। लेकिन 2005 में इसमें संशोधन हुआ जिसके बाद बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार मिला — लेकिन दो शर्तों पर:

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  • पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के बाद हुई हो।
  • संपत्ति पैतृक हो, ना कि खुद कमाई हुई।

बेटियों को क्या करना चाहिए?

अगर आप भी अपने पिता की संपत्ति पर हक जताना चाहती हैं तो इन दस्तावेजों का होना ज़रूरी है:

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  • पिता का डेथ सर्टिफिकेट
  • संपत्ति के दस्तावेज – यह साबित करने के लिए कि वह पैतृक है या खुद की कमाई की है
  • कोई वसीयत है या नहीं – यह बेहद अहम है
  • बाकी परिवार के दावेदार कौन हैं – उनकी जानकारी
  • कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए मजबूत सबूत

क्या यह नियम सभी बेटियों पर लागू होगा?

बिलकुल नहीं। यह फैसला उन मामलों पर लागू होगा जहां:

  • पिता की मौत 2005 से पहले हुई है।
  • संपत्ति स्व-अर्जित है और उस पर वसीयत बनी हुई है।
  • बेटी ने दावा बहुत देर से किया हो।

अगर पिता की मृत्यु 2005 के बाद हुई है और संपत्ति पैतृक है, तो बेटी को पूरा कानूनी हक मिलेगा। यानी केस-टू-केस फैसले होंगे।

सोशल मीडिया पर मचा बवाल

इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर लोग दो हिस्सों में बंट गए। कुछ लोगों ने कोर्ट के फैसले को सही बताया, वहीं कुछ का कहना है कि यह बेटियों के अधिकारों के खिलाफ है। कई महिलाओं ने लिखा कि अगर बेटा संपत्ति का हकदार है तो बेटी क्यों नहीं?

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ऐसा नहीं है कि बेटियों को हक नहीं मिलेगा। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि संपत्ति कैसी है — पैतृक या स्व-अर्जित, और क्या वसीयत मौजूद है या नहीं। अगर वसीयत बनी है, तो पिता जिसे चाहें, संपत्ति दे सकते हैं। लेकिन अगर वसीयत नहीं बनी और संपत्ति पैतृक है, तो बेटी को कानूनन पूरा हक मिलता है। इसलिए जरूरी है कि परिवार और बेटियां इस तरह के मामलों में जागरूक रहें और समय पर उचित कदम उठाएं।

Disclaimer

यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और कोर्ट आदेशों पर आधारित है। किसी भी प्रकार का कानूनी निर्णय लेने से पहले संबंधित वकील या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। नियम और कानून समय के साथ बदल सकते हैं।

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