GNSS Toll System – अगर आप गाड़ी चलाते हैं और हाईवे पर लंबी यात्राएं करते हैं, तो ये खबर आपको जरूर जाननी चाहिए। केंद्र सरकार अब FASTAG सिस्टम को धीरे-धीरे खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है और इसकी जगह एक बिल्कुल नया और आधुनिक टोल सिस्टम लाया जा रहा है। इस नई प्रणाली का नाम है – GNSS आधारित टोल सिस्टम, यानी Global Navigation Satellite System।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में जानकारी दी है कि आने वाले समय में टोल टैक्स वसूलने का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। अब न कोई टोल प्लाजा पर रुकना होगा, न लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ेगा। सफर जितना, टोल उतना – ये नई व्यवस्था का मूल मंत्र होगा।
क्या है GNSS टोल सिस्टम?
GNSS सिस्टम दरअसल एक सैटेलाइट आधारित टेक्नोलॉजी है, जिसमें आपकी गाड़ी में एक Onboard Unit (OBU) लगेगा। ये यूनिट GPS की तरह काम करेगा और आपकी गाड़ी की लोकेशन और मूवमेंट को ट्रैक करेगा।
अब जैसे ही आप टोल वाले रूट पर अपनी गाड़ी लेकर निकलेंगे, ये यूनिट आपके सफर की दूरी को मापेगा और उसी हिसाब से टोल शुल्क कटेगा। मतलब, अब फिक्स अमाउंट का टोल नहीं कटेगा बल्कि जितनी दूरी तय करेंगे, उतनी ही फीस देनी होगी।
फास्टैग का क्या होगा?
FASTAG सिस्टम 2016 में शुरू हुआ था ताकि टोल प्लाजा पर लंबी कतारें खत्म हों और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिले। ये सिस्टम काफ़ी हद तक सफल भी रहा, लेकिन अब सरकार और आगे बढ़ना चाहती है।
हालांकि GNSS सिस्टम एकदम से लागू नहीं होगा। शुरुआत में इसे कुछ खास हाईवे या एक्सप्रेसवे पर लागू किया जाएगा और धीरे-धीरे पूरे देश में फैलाया जाएगा। यानी FASTAG अभी पूरी तरह बंद नहीं होगा, लेकिन भविष्य में इसकी जरूरत खत्म हो सकती है।
नई प्रणाली से जुड़ी बड़ी बातें
- OBU यूनिट अनिवार्य: GNSS सिस्टम के लिए हर गाड़ी में एक खास डिवाइस यानी Onboard Unit लगाना जरूरी होगा।
- कोई टोल प्लाजा नहीं: नई प्रणाली में टोल प्लाजा की जरूरत ही नहीं रहेगी, क्योंकि शुल्क अपने आप कट जाएगा।
- डिस्टेंस बेस्ड पेमेंट: टोल वही देगा जिसने रास्ता इस्तेमाल किया, वो भी उतना ही जितना दूरी तय की।
- कोई फिक्स टोल नहीं: अगर आपने टोल हाईवे का आधा हिस्सा ही इस्तेमाल किया, तो आधा ही टोल देना होगा।
GNSS सिस्टम के फायदे क्या हैं?
- समय की बचत – अब टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- पारदर्शिता – जीपीएस के ज़रिए ट्रैकिंग होगी, जिससे कोई फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा।
- कम खर्च – सिर्फ उतनी दूरी का टोल कटेगा, जितना आपने सफर किया।
- सीधी कटौती – टोल शुल्क सीधे आपके बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से कट जाएगा।
- कम जाम – टोल प्लाजा हटने से ट्रैफिक जाम में भी बड़ी राहत मिलेगी।
भुगतान कैसे होगा?
GNSS सिस्टम को आपके बैंक अकाउंट या UPI वॉलेट से जोड़ा जाएगा। जैसे ही आप टोल रोड पर चलना शुरू करेंगे, आपकी यूनिट दूरी मापेगी और टोल अपने आप कट जाएगा। इसमें प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों ऑप्शन होंगे, जिससे हर यूज़र को सुविधा मिल सके।
कब से लागू होगा ये सिस्टम?
पहले GNSS सिस्टम को 1 अप्रैल 2025 से लागू करने की योजना थी, लेकिन टेक्निकल कारणों से इसे थोड़ा टाल दिया गया। अब सरकार का लक्ष्य है कि इसे 2025 के अंत तक बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया जाए।
तो अब गाड़ी मालिक क्या करें?
अगर आप हाईवे पर ज्यादा सफर करते हैं तो आपको तैयार रहना चाहिए। आने वाले समय में गाड़ी में OBU डिवाइस लगवाना जरूरी हो सकता है। यह डिवाइस NHAI के माध्यम से या किसी अधिकृत डीलर के ज़रिए उपलब्ध कराई जाएगी।
क्या बदलाव होगा आम लोगों के लिए?
- यात्रा होगी आसान – रुकावटें और लंबी कतारें अब बीते दिनों की बात होंगी।
- पैसा कटेगा सटीक – गलत टोल या ज्यादा शुल्क का खतरा नहीं रहेगा।
- डिजिटल इंडिया को मिलेगा बल – पूरा सिस्टम डिजिटल पेमेंट और स्मार्ट मैनेजमेंट पर आधारित होगा।
- सरकार को मिलेगा सही राजस्व – गाड़ियों की मूवमेंट की सटीक जानकारी मिलने से चोरी या टोल चोरी नहीं हो सकेगी।
टेक्नोलॉजी के इस नए कदम से भारत में सड़क यात्रा का अनुभव पूरी तरह बदलने वाला है। FASTAG के जमाने को अलविदा कहने और GNSS आधारित स्मार्ट सफर की ओर बढ़ने का समय आ गया है।
सरकार का यह कदम न सिर्फ ट्रैफिक को आसान बनाएगा, बल्कि एक पारदर्शी और भरोसेमंद टोल सिस्टम की शुरुआत भी करेगा। तो अगर आप एक वाहन चालक हैं, तो तैयार हो जाइए – क्योंकि सफर अब स्मार्ट होगा, और टोल बिल्कुल सटीक।