Gratuity Rule – अगर आप एक नौकरीपेशा कर्मचारी हैं और हर महीने आपकी सैलरी 35,000 रुपये है, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। अब आपको नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट पर मिलने वाली ग्रेच्युटी पहले से ज्यादा मिल सकती है। वजह है – भारत सरकार द्वारा ग्रेच्युटी नियमों में हाल ही में किया गया बड़ा बदलाव। इस आर्टिकल में हम आपको बिल्कुल आसान भाषा में समझाएंगे कि ग्रेच्युटी क्या है, कैसे इसकी गणना होती है और नए नियमों से आपको क्या फायदा मिलेगा।
ग्रेच्युटी क्या होती है और किसे मिलती है?
ग्रेच्युटी एक तरह का थैंक यू बोनस होता है जो कंपनी अपने लॉन्ग-टर्म कर्मचारियों को देती है। यानी अगर आपने एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल तक लगातार काम किया है, तो आप इस रकम के हकदार हैं। ये रकम आपको उस समय मिलती है जब आप नौकरी छोड़ते हैं, रिटायर होते हैं या दुर्भाग्यवश किसी कारणवश काम करने की स्थिति में नहीं रहते।
लेकिन ध्यान रहे – अगर आपने 4 साल 11 महीने भी काम किया है तो भी आपको ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी। हां, कुछ एक्सेप्शन जैसे कि मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में, ये 5 साल की शर्त जरूरी नहीं रहती।
सरकार ने क्यों किया नया बदलाव?
पहले तक ग्रेच्युटी की जो राशि टैक्स फ्री थी, वो 20 लाख रुपये तक सीमित थी। यानी अगर आपको 25 लाख रुपये ग्रेच्युटी मिली तो उसमें से 5 लाख पर टैक्स देना पड़ता था। लेकिन अब सरकार ने इसे 25 लाख रुपये तक कर मुक्त कर दिया है, जिससे लाखों कर्मचारियों को सीधा फायदा होगा।
इसका फायदा सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारियों, बैंक कर्मचारियों और प्राइवेट सेक्टर में लंबे समय तक नौकरी करने वालों को होगा।
ग्रेच्युटी की गणना का आसान तरीका
अब बात करते हैं असली मुद्दे की – आपको कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी?
फॉर्मूला है:
ग्रेच्युटी = (अंतिम सैलरी × 15 × काम के साल)/26
यहां अंतिम सैलरी का मतलब है – आपका बेसिक वेतन + डीए (महंगाई भत्ता)।
उदाहरण के लिए:
अगर आपकी अंतिम सैलरी ₹35,000 है और आपने 7 साल काम किया है:
ग्रेच्युटी = ₹35,000 × 15/26 × 7
= ₹1,41,346 रुपये
यानी सीधी सी बात है – जितनी ज्यादा आपकी सैलरी और नौकरी की अवधि होगी, उतनी ज्यादा ग्रेच्युटी मिलेगी।
काम के सालों की गणना कैसे होती है?
अगर आपने 6 महीने से ज्यादा का एक्स्ट्रा समय काम किया है, तो उसे पूरा साल माना जाएगा।
जैसे:
- आपने 7 साल 7 महीने काम किया = 8 साल माने जाएंगे
- लेकिन अगर 7 साल 3 महीने काम किया = 7 साल ही माने जाएंगे
इससे आप समझ सकते हैं कि रेजिग्नेशन या रिटायरमेंट की टाइमिंग भी आपकी ग्रेच्युटी अमाउंट पर असर डालती है।
किन कर्मचारियों को मिलेगा फायदा?
ग्रेच्युटी रूल्स दो कैटेगरी में बांटे गए हैं:
- जिन्हें ग्रेच्युटी अधिनियम कवर करता है – अधिकतर कर्मचारी इस श्रेणी में आते हैं।
- जिन्हें अधिनियम कवर नहीं करता – जैसे कुछ छोटे संस्थानों या असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी।
दोनों के लिए गणना का तरीका लगभग एक जैसा ही है, बस कुछ नीति कंपनी पर निर्भर करती है। इसलिए HR से संपर्क करना सबसे सही रहेगा।
टैक्स में मिलेगा बड़ा फायदा
पहले जहां ग्रेच्युटी की टैक्स फ्री लिमिट 20 लाख थी, अब उसे बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है। यानी अब आपको ज्यादा पैसा टैक्स से बचाकर मिलेगा। रिटायरमेंट के बाद यही पैसा आपके लिए मेडिकल, बच्चों की शादी, घर की मरम्मत या निवेश में काम आ सकता है।
ग्रेच्युटी को लेकर क्या रखें ध्यान?
- हमेशा अपनी कंपनी के HR से अपनी ग्रेच्युटी की स्थिति को समझें।
- अपने नामांकन फॉर्म्स अपडेट रखें।
- नौकरी छोड़ने से पहले यह देखें कि कहीं आपकी ग्रेच्युटी अधूरी न रह जाए।
- रिटायरमेंट प्लान में ग्रेच्युटी के साथ-साथ EPF, PPF और म्यूचुअल फंड को भी शामिल करें।
भविष्य के लिए सलाह
ग्रेच्युटी से मिलने वाली रकम आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग का एक मजबूत हिस्सा बन सकती है। लेकिन इसे अकेले पर्याप्त न समझें। अगर आप रिटायरमेंट के बाद सुकून से जीना चाहते हैं तो इस रकम का सही उपयोग करें – जैसे कोई सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, सीनियर सिटीजन स्कीम या हेल्थ इंश्योरेंस।
35,000 रुपये सैलरी वाले कर्मचारी अगर 7 साल या उससे ज्यादा तक एक ही संस्थान में काम करते हैं तो उन्हें अब लगभग 1.41 लाख रुपये की ग्रेच्युटी मिल सकती है – वो भी पूरी तरह टैक्स फ्री, अगर राशि 25 लाख तक की हो। यह नया नियम भारत सरकार की एक शानदार पहल है जो हर कर्मचारी की रिटायरमेंट प्लानिंग को और मजबूत करता है।
इसलिए अगर आप भी कर्मचारी हैं, तो आज ही अपनी ग्रेच्युटी की स्थिति चेक करें, और सुनिश्चित करें कि आप इस सुविधा का पूरा लाभ ले सकें।