Income Tax Notice – अगर आप सोचते हैं कि बैंकिंग लेन-देन आपकी निजी चीज है और सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, तो आप भारी भूल कर रहे हैं। आज के डिजिटल इंडिया में आयकर विभाग हर उस ट्रांजैक्शन पर नज़र रखता है जो कुछ तय सीमा से ज्यादा होता है। चाहे आप एफडी में पैसा लगाएं, किसी को कैश में भारी रकम ट्रांसफर करें, या प्रॉपर्टी खरीदें, सरकार अब पहले की तरह चुप नहीं बैठती।
आयकर विभाग का पूरा फोकस अब पारदर्शिता और टैक्स चोरी रोकने पर है। ऐसे में अगर आपकी कोई गतिविधि संदिग्ध लगती है या तय सीमा से ज्यादा रकम का लेन-देन होता है, तो आयकर विभाग आपको बिना समय गंवाए नोटिस भेज सकता है। इसलिए सावधानी जरूरी है। चलिए, विस्तार से जानते हैं कि कौन-कौन से ऐसे ट्रांजैक्शन हैं जिन पर आयकर विभाग की नजर हमेशा बनी रहती है।
फिक्स्ड डिपॉजिट में ज्यादा नकद जमा? हो जाइए तैयार!
अगर आपने एक बार में 10 लाख या उससे ज्यादा की नकद रकम एफडी (Fixed Deposit) में जमा कर दी, तो समझ लीजिए कि आयकर विभाग के रडार पर आप आ चुके हैं। अब आपको यह साबित करना होगा कि वो पैसे कहां से आए।
अगर पैसा आपकी सेविंग्स से है, सैलरी से है, बिजनेस से है – तो उसकी रसीदें, स्टेटमेंट्स, और वैध दस्तावेज साथ रखने होंगे। क्योंकि विभाग यह मानकर चलता है कि इतनी बड़ी नकद राशि शायद टैक्स से बचाने के लिए छुपाई गई कमाई हो सकती है। और तब शुरू होता है नोटिस भेजने का खेल।
बैंक खाते में जमा-निकासी की सीमा पार? Alert हो जाइए!
अगर किसी वित्तीय वर्ष में आप कुल मिलाकर 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा की राशि अपने बैंक खाते में जमा करते हैं या निकालते हैं, तो भी Income Tax Department नोटिस भेज सकता है। ये नियम न सिर्फ एक खाते पर लागू होता है, बल्कि आपके सभी बैंक खातों को मिलाकर लागू होता है।
यानि अगर आपने SBI, HDFC और ICICI – तीनों खातों में मिलाकर 10 लाख से ऊपर की डीलिंग की है, तो आपको जवाब देना होगा।
प्रॉपर्टी में बड़ा लेनदेन? नियम तोड़ेंगे तो नोटिस मिलेगा
भारत में प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री में अक्सर कैश डील होती है। लेकिन अब वो दिन लद चुके हैं। अगर आपने किसी प्रॉपर्टी को 30 लाख या उससे ज्यादा की नकद राशि में खरीदा या बेचा, तो रजिस्ट्रार सीधा उसकी जानकारी आयकर विभाग को भेजता है।
इसके बाद आपको यह बताना होगा कि आपने वो कैश कहां से लाया, क्यों नकद में दिया, और उसका स्रोत क्या है। ऐसे मामलों में फंसे लोगों को नोटिस का जवाब देना बेहद मुश्किल हो जाता है, खासकर तब जब दस्तावेज नहीं होते।
क्रेडिट कार्ड का कैश पेमेंट भी कर सकता है फंसा
अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड बिल 1 लाख रुपये या उससे ज्यादा नकद में चुकाते हैं, तो यह भी शक के दायरे में आता है। सरकार को यह लगता है कि आप शायद अघोषित इनकम को खपाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी तरह, अगर आपने शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड्स आदि में 10 लाख से ज्यादा का निवेश किया है, तो उसकी पूरी जानकारी विभाग को मिलती है। नकद में किया गया कोई भी बड़ा निवेश हमेशा संदिग्ध माना जाता है।
UPI, चेक, इंटरनेट बैंकिंग – सब पर है नजर
बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर कैश नहीं दिया, बल्कि ऑनलाइन पेमेंट किया तो कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन सच्चाई ये है कि चाहे UPI हो या NEFT, IMPS या RTGS, हर बड़ा ट्रांजैक्शन अब AIS (Annual Information Statement) और Form 26AS के जरिए आयकर विभाग तक पहुंच जाता है।
अगर आपकी इनकम और खर्च में अंतर दिखता है, तो विभाग बिना देर किए नोटिस भेज देता है। खासकर वो लोग जो अपनी ITR (Income Tax Return) फाइल नहीं करते, उनके लिए ये खतरे की घंटी है।
नोटिस मिला तो घबराइए नहीं – ये करें
Income Tax Notice मिलना कोई आपराधिक बात नहीं है। लेकिन उसे नजरअंदाज करना बड़ी गलती है। अगर आपको नोटिस आया है तो:
- सबसे पहले नोटिस की तारीख और उत्तर देने की समय सीमा ध्यान से देखें।
- नोटिस को पूरी तरह पढ़ें और समझें कि विभाग आपसे क्या जानना चाहता है।
- जो भी दस्तावेज मांगे गए हैं, उन्हें जुटाएं और सही तरीके से जवाब तैयार करें।
- अगर मामला जटिल है, तो किसी अच्छे CA (चार्टर्ड अकाउंटेंट) या टैक्स एक्सपर्ट की मदद जरूर लें।
ध्यान रहे, गलत जानकारी देने से आपकी परेशानी बढ़ सकती है, इसलिए जवाब हमेशा सही और प्रमाणित होना चाहिए।
टैक्स की नजर से कैसे बचें?
बचने का एक ही तरीका है – साफ-सुथरा और पारदर्शी लेनदेन।
- बड़े ट्रांजैक्शन हमेशा बैंकिंग चैनल से करें।
- नकद लेनदेन से बचें, खासकर अगर रकम ज्यादा हो।
- अपनी आय और खर्च का हिसाब रखें और ITR समय पर फाइल करें।
- अगर आपने कहीं से कोई गिफ्ट, प्रॉपर्टी या लॉटरी जीती है, तो उसकी सही रिपोर्टिंग करें।
आज के डिजिटल युग में हर बड़ा ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड हो रहा है और सरकार की नजर हर कोने में है। ऐसे में आपको बेहद सतर्क रहना चाहिए। जो भी लेनदेन करें, उसकी पूरी जानकारी और दस्तावेज हमेशा तैयार रखें। टैक्स से बचने की कोशिश नहीं, बल्कि टैक्स प्लानिंग करें।
अगर आप पारदर्शिता के साथ चलेंगे, तो न कोई नोटिस आएगा और न ही टेंशन।