Income Tax Rules – भारत में टैक्सपेयर्स लंबे समय से इस बात से परेशान थे कि आयकर विभाग जब चाहे, तब पुराने मामलों को दोबारा खोल देता था और नोटिस भेज देता था। चाहे मामला 8 साल पुराना हो या 10 साल, अगर किसी अधिकारी को शक हुआ तो जांच शुरू हो जाती थी। इससे टैक्सपेयर्स का न सिर्फ मानसिक तनाव बढ़ता था, बल्कि समय और पैसा भी बर्बाद होता था।
लेकिन अब इस पर लगाम लगा दी गई है। दिल्ली हाईकोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले और 2021 के बजट संशोधनों के बाद इनकम टैक्स रीअसेसमेंट के नियम पूरी तरह से बदल चुके हैं।
चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि नया क्या हुआ है, इससे टैक्सपेयर्स को क्या फायदा होगा और क्या अब भी कुछ मामलों में विभाग जांच कर सकेगा या नहीं।
पुराने टैक्स केस दोबारा खोलने पर अब कड़ी रोक
अगर आपने तीन साल पहले ITR फाइल किया है और आपकी कुल छिपी हुई आय ₹50 लाख से कम है, तो इनकम टैक्स विभाग अब उस केस को दोबारा नहीं खोल सकता। यानी 3 साल के बाद विभाग आपको कोई नोटिस नहीं भेज सकता, चाहे कुछ भी हो जाए।
उदाहरण:
अगर आपने मार्च 2021 में ITR फाइल किया और उसमें ₹30 लाख की आमदनी दिखाई, लेकिन विभाग को लगता है कि आपने ₹10 लाख छुपाए, तो अब जून 2025 में आकर वह केस नहीं खोला जा सकता।
कब खुल सकता है पुराना केस?
अगर किसी टैक्सपेयर्स ने ₹50 लाख या उससे ज्यादा की इनकम छिपाई है, तो फिर मामला 10 साल तक दोबारा खोला जा सकता है।
यानी:
- ₹50 लाख से कम: सिर्फ 3 साल के अंदर ही मामला री-असेस किया जा सकता है।
- ₹50 लाख या उससे ज्यादा: 10 साल तक केस दोबारा खुल सकता है।
2021 से पहले कैसी थी स्थिति?
2021 से पहले टैक्स अधिकारी अपनी मर्जी से 6 साल पुराने या उससे भी अधिक पुराने मामलों को खोल लेते थे। कहीं कोई स्पष्ट नियम नहीं था।
लेकिन 2021 के बजट में वित्त मंत्री ने इन नियमों में बड़ा बदलाव किया और स्पष्ट सीमा तय कर दी। इससे टैक्सपेयर्स को कानूनी सुरक्षा मिली।
हाईकोर्ट का अहम फैसला – टैक्सपेयर्स की जीत
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आयकर विभाग 3 साल से पुराने और ₹50 लाख से कम की आय वाले मामलों को नहीं छेड़ सकता।
हाईकोर्ट ने साथ ही CBDT (Central Board of Direct Taxes) के उस विचार को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि विभाग ‘ट्रैवल बैक इन टाइम’ यानी मनमाने तरीके से पुराने सालों में जाकर जांच शुरू कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि ये तरीका कानूनन सही नहीं है।
याचिकाकर्ताओं की क्या मांग थी?
कई टैक्सपेयर्स ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि विभाग को अनलिमिटेड पावर नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि:
- 50 लाख से कम के मामलों को 3 साल से ज्यादा नहीं खंगाला जाए
- 50 लाख से ज्यादा की ही जांच आगे बढ़ाई जाए
- टैक्सपेयर्स को हर समय नोटिस के डर से आजादी मिले
कोर्ट ने इस पर सहमति जताई और आयकर कानून की धारा 149(1)(a) के तहत इसे न्यायोचित ठहराया।
टैक्सपेयर्स के लिए राहत क्यों है ये फैसला?
- मानसिक शांति: अब कोई भी विभाग वाला आपको 6-7 साल पुराने केस का नोटिस नहीं भेज सकेगा।
- स्पष्ट नियम: 3 साल और 50 लाख की सीमा तय हो गई है। इससे विभाग की मनमानी खत्म हुई।
- समय की बचत: पुराने केस खंगालने में लगने वाला समय और ऊर्जा अब बचेगी।
- टैक्सप्लानिंग में सहूलियत: अब लोग अपने टैक्स से जुड़े डॉक्युमेंट 3 साल तक संभाल कर रखना पर्याप्त समझ सकते हैं।
अब से किन बातों का रखें ध्यान?
- हमेशा समय पर ITR फाइल करें और सटीक जानकारी दें
- अगर आपकी आय ₹50 लाख से ज्यादा है, तो 10 साल तक डॉक्युमेंट संभाल कर रखें
- कोई गड़बड़ी नहीं की है, फिर भी नोटिस आता है तो वकील से सलाह जरूर लें
- टैक्सप्लानर या CA से समय-समय पर अपनी फाइलिंग का ऑडिट करवा लें
ये बदलाव सिर्फ कानून का संशोधन नहीं है, ये आम टैक्सपेयर्स के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अब कोई भी केस खोलने से पहले यह साबित करना होगा कि इनकम छिपाई गई है, और वह भी नियमों की सीमा में रहकर।
इस फैसले से टैक्सपेयर्स को एक नई उम्मीद और भरोसा मिला है कि सिस्टम अब पारदर्शी और नियम आधारित हो रहा है।