Income Tax Rules – अगर आप भी टैक्स भरते हैं और हर साल अपना रिटर्न फाइल करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद अहम है। अब इनकम टैक्स विभाग मनमाने ढंग से पुराने टैक्स मामलों को नहीं खोल पाएगा। जी हां, सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए ऐसे नियम लागू किए हैं जिससे टैक्स अधिकारियों की मनमानी पर लगाम लगेगी।
पहले क्या होता था? आप ने कई साल पहले अपना रिटर्न भरा, सब ठीक-ठाक हुआ, लेकिन अचानक एक दिन इनकम टैक्स विभाग का नोटिस आ जाता था कि आपका सालों पुराना केस फिर से खोला जाएगा। अब इस चक्कर में लोग मानसिक रूप से परेशान हो जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आइए विस्तार से समझते हैं कि नया नियम क्या है और इसका क्या असर पड़ेगा।
पहले क्या था सिस्टम?
पहले इनकम टैक्स अधिकारी छह साल तक पुराने मामलों को फिर से खोल सकते थे। अगर कोई मामला गंभीर होता या आय छिपाने की आशंका होती, तो ये समयसीमा और बढ़ भी सकती थी। लेकिन इसका काफी दुरुपयोग भी देखा गया। अधिकारी बिना किसी ठोस वजह के पुराने केस खोल देते थे, जिससे टैक्सपेयर्स को परेशानी होती थी।
ब क्या हुआ है बदलाव?
अब नए नियमों के तहत इनकम टैक्स विभाग सिर्फ तीन साल पुराने मामलों को ही दोबारा खोल सकेगा। यानी अगर आपने तीन साल से पहले का रिटर्न सही से फाइल किया है और उसमें कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं है, तो अब आपको नोटिस आने की कोई टेंशन नहीं है।
लेकिन ध्यान दें – अगर मामला ₹50 लाख या उससे ज्यादा की आय छुपाने का है या कोई गंभीर धोखाधड़ी का मामला है, तो इनकम टैक्स विभाग 10 साल तक केस खोल सकता है। यानी बड़े मामलों में छूट नहीं दी गई है, लेकिन सामान्य टैक्सपेयर्स को अब राहत मिलेगी।
कोर्ट का क्या कहना है?
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में इस मामले पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अब इनकम टैक्स विभाग अपनी मर्जी से पुराने केस नहीं खोल सकता। विभाग को तय समयसीमा का सख्ती से पालन करना होगा।
इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति ₹50 लाख से कम की आय छुपाने का आरोपी है और उसका मामला तीन साल से ज्यादा पुराना है, तो अब उसे दोबारा नहीं खोला जा सकता।
यानी छोटे टैक्सपेयर्स को अब कोर्ट से भी सुरक्षा मिल गई है।
“ट्रैवल बैक इन टाइम” का खेल खत्म
इनकम टैक्स विभाग का एक पुराना ट्रिक था – “ट्रैवल बैक इन टाइम” यानी पुराने मामलों में किसी भी समय वापस चले जाना और केस खोल देना। कोर्ट ने अब इस सिद्धांत को अवैध और गैरकानूनी करार दे दिया है। यानी अब किसी भी अधिकारी को ये हक नहीं रहेगा कि वो अचानक 8-10 साल पुराना मामला उठाकर नोटिस भेज दे।
2021 में ही आया था नया कानून
असल में सरकार ने साल 2021-22 में ही इनकम टैक्स रिअसेसमेंट को लेकर नया कानून लागू किया था। इसमें पुराने 6 साल के सिस्टम को खत्म कर 3 साल की सीमा तय की गई थी। साथ ही, ज्यादा बड़े मामलों के लिए 10 साल की लिमिट रखी गई थी।
लेकिन इसके बाद भी कुछ पुराने नोटिस भेजे जा रहे थे, जिसे लेकर विवाद बना हुआ था। अब कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ हो गया है कि बिना मजबूत कारण के तीन साल से पुराने मामलात नहीं खोले जा सकते।
टैक्सपेयर्स की बड़ी जीत
इस फैसले और नियम में बदलाव से लाखों टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिली है। अब उन्हें हर साल इस डर में नहीं जीना पड़ेगा कि कभी भी कोई पुराना मामला उठ जाएगा और नोटिस आ जाएगा। खासकर छोटे व्यापारी, नौकरीपेशा और मिडिल क्लास लोगों को इस फैसले से काफी फायदा होगा।
अब वे ज्यादा फोकस के साथ अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग कर पाएंगे और पुराने मामलों के लिए टेंशन नहीं पालनी पड़ेगी।
टैक्सपेयर्स को अब क्या करना चाहिए?
- हर साल सही समय पर रिटर्न फाइल करें
- सारे डॉक्युमेंट्स और ट्रांजेक्शन्स को रिकॉर्ड में रखें
- किसी भी लेनदेन को छुपाएं नहीं
- अगर नोटिस आता भी है तो एक प्रोफेशनल से सलाह लें
अब जब नियम आपके फेवर में हैं, तो ट्रांसपेरेंसी और सही डॉक्युमेंटेशन के साथ चलना सबसे बेहतर रहेगा।
इनकम टैक्स के नए नियमों और कोर्ट के फैसले ने भारत की टैक्स व्यवस्था में एक बड़ा सुधार लाया है। इससे पारदर्शिता, ईमानदारी और भरोसे का माहौल बनेगा। साथ ही टैक्सपेयर्स को यह भरोसा मिलेगा कि अब उनके साथ नाइंसाफी नहीं होगी।
तो अगर आप भी हर साल ईमानदारी से टैक्स भरते हैं, तो अब निश्चिंत होकर आगे बढ़िए। सरकार और न्यायालय अब आपके साथ हैं।