बिना इन डॉक्युमेंट्स के रजिस्ट्री होगी अमान्य – सरकार का बड़ा फैसला Land Registry Cancellation Rights

By Prerna Gupta

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Land Registry Cancellation Rights – भारत में जमीन और संपत्ति से जुड़े नियम-कानून हमेशा से चर्चा में रहे हैं। आए दिन कोई न कोई विवाद सुनने को मिल जाता है – कभी फर्जी रजिस्ट्री तो कभी दो लोगों के बीच एक ही ज़मीन का दावा। लेकिन अब सरकार ने इस दिशा में सख्ती दिखाई है। नए नियम के तहत अगर ज़रा सी भी गड़बड़ी पाई गई, तो आपकी ज़मीन की रजिस्ट्री रद्द की जा सकती है। खास बात ये है कि ये नियम अब लागू हो चुका है और धीरे-धीरे पूरे देश में फैल सकता है।

तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है ये नया नियम, कौन-कौन इससे प्रभावित होगा, और अगर आप ज़मीन खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

क्या है नया नियम?

अब तक जमीन की रजिस्ट्री एक बार हो जाने के बाद पक्की मानी जाती थी। लेकिन नए नियम के मुताबिक, अगर ज़मीन से जुड़े किसी भी दस्तावेज़ में गड़बड़ी पाई जाती है, तो रजिस्ट्री को रद्द किया जा सकता है। मतलब, अगर कोई फर्जीवाड़ा हुआ है या ज़मीन पर पहले से कोई विवाद है, तो आपकी मेहनत की कमाई पर पानी फिर सकता है।

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राजस्व विभाग ने यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और धोखाधड़ी रोकने के लिए उठाया है। अब ज़मीन की खरीद-फरोख्त में साफ-सुथरे दस्तावेज़ और कानूनी प्रक्रिया का पालन अनिवार्य हो गया है।

किन कारणों से रद्द हो सकती है रजिस्ट्री?

  1. गलत दस्तावेज़ या फर्जी कागज़ात:
    अगर आपने ज़मीन खरीदते समय ऐसे दस्तावेज़ दिए जो फर्जी निकले – जैसे फर्जी मालिकाना हक, नकली NOC, या पुराने रिकॉर्ड से छेड़छाड़ – तो रजिस्ट्री रद्द हो जाएगी।
  2. धोखाधड़ी के जरिए ट्रांसफर:
    अगर बाद में साबित हो गया कि ज़मीन किसी और की थी और आपको गलत जानकारी देकर बेची गई, तो आपकी रजिस्ट्री अमान्य घोषित हो सकती है।
  3. कानूनी विवाद:
    अगर जिस ज़मीन की रजिस्ट्री आपने कराई है, उस पर कोर्ट केस चल रहा है, और आपसे ये बात छुपाई गई थी, तो रजिस्ट्री को निरस्त किया जा सकता है।
  4. संपत्ति का दुरुपयोग या गलत उपयोग:
    सरकारी या पट्टे की ज़मीन को प्राइवेट संपत्ति बताकर बेचा गया हो, तो रजिस्ट्री अमान्य होगी।

सबसे ज्यादा असर किस पर पड़ेगा?

इसका सबसे बड़ा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो बिना दस्तावेज़ जांचे ज़मीन खरीद लेते हैं, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में जहां बिचौलियों के जरिए लेन-देन होता है। लोग अकसर कम दाम और जल्दी रजिस्ट्री के चक्कर में फंस जाते हैं, लेकिन अब ऐसा करना भारी पड़ सकता है।

कैसे करें रजिस्ट्री को सुरक्षित?

अगर आप ज़मीन खरीदना चाहते हैं और चाहते हैं कि भविष्य में कोई कानूनी पचड़ा न हो, तो ये 5 बातों को गांठ बांध लें:

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  1. दस्तावेज़ों की गहराई से जांच करें
    सारा कागज़ काम जैसे कि मालिकाना हक, NOC, भूमि का नक्शा, पुराना रजिस्ट्री रिकॉर्ड – सबकुछ वकील की मदद से चेक करवाएं।
  2. जमीन मालिक की पुष्टि करें
    जिस व्यक्ति से आप ज़मीन ले रहे हैं, क्या वो वाकई उसका कानूनी मालिक है? ये जांचना बेहद जरूरी है।
  3. कोर्ट केस या विवाद की जानकारी लें
    ज़मीन पर पहले से कोई केस न चल रहा हो, इसके लिए लोकल कोर्ट रिकॉर्ड और तहसील से जानकारी लेना जरूरी है।
  4. रजिस्ट्री कार्यालय की प्रक्रिया फॉलो करें
    बिचौलियों की शॉर्टकट सलाह से बचें। रजिस्ट्री के लिए सभी मूल दस्तावेज़ तैयार करके सीधे सरकारी दफ्तर में प्रक्रिया पूरी करें।
  5. सरकारी पोर्टल से जानकारी लें
    आजकल ज्यादातर राज्य ऑनलाइन भूमि रिकॉर्ड और खतौनी दिखाते हैं। वहां से भी जांच कर सकते हैं।

कहां से शुरू हुआ ये नियम?

ये नियम सबसे पहले मध्य प्रदेश में लागू किया गया है, जहां सरकार ने संपत्ति रजिस्ट्रेशन को लेकर डिजिटल सत्यापन की शुरुआत की है। अगर ये कदम सफल रहता है, तो दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र में भी इसे जल्द लागू किया जा सकता है।

क्या प्राइवेट और पैतृक संपत्ति भी आएगी इसके दायरे में?

बिलकुल। ये नियम सिर्फ सरकारी ज़मीन के लिए नहीं, बल्कि निजी और पैतृक (ancestral) संपत्तियों पर भी लागू होगा। अगर पुरानी ज़मीन पर किसी रिश्तेदार का दावा है और वह कोर्ट में केस डाल देता है, तो आपकी रजिस्ट्री फंस सकती है।

सरकार का मकसद क्या है?

सरकार का उद्देश्य साफ है – पारदर्शिता लाओ, फर्जीवाड़ा हटाओ। इससे न केवल लोगों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि बेवजह के ज़मीन विवाद भी कम होंगे। कोर्ट में चल रहे लाखों मुकदमे ऐसे ही फर्जी लेन-देन की वजह से लंबित हैं। नया नियम इन्हें कम करने में मदद करेगा।

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अगर आप ज़मीन खरीदने की सोच रहे हैं, तो अब ज़िम्मेदारी पहले से ज्यादा बढ़ गई है। ये नया नियम एक तरह से अलार्म की तरह है – आंखें बंद करके ज़मीन न खरीदें। हर दस्तावेज़, हर जानकारी की पुष्टि करें, तभी आगे बढ़ें। वरना भविष्य में आपकी मेहनत की कमाई और घर का सपना – दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।

नियम सख्त जरूर हैं, लेकिन मकसद साफ है – जनता को सुरक्षित रखना और ज़मीन खरीद को धोखाधड़ी मुक्त बनाना।

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Prerna Gupta

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