OLD Pension Scheme – उत्तर प्रदेश के लाखों शिक्षकों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी आई है। जो तदर्थ शिक्षक सालों से पुरानी पेंशन योजना को लेकर संघर्ष कर रहे थे, उन्हें अब जाकर न्याय मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका को खारिज करते हुए साफ कह दिया है कि इन शिक्षकों को पुरानी पेंशन का हक मिलेगा। इस फैसले के बाद से पूरे राज्य में तदर्थ शिक्षकों के चेहरे खिल गए हैं।
सालों से चल रही थी लड़ाई
उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 30 सितंबर 2000 से पहले नियुक्त हुए तदर्थ शिक्षक काफी समय से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे थे। इनका कहना था कि जिस तरह से अन्य नियमित शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल रहा है, वैसे ही हमें भी यह हक मिलना चाहिए। सरकार ने पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को नहीं माना और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया और सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट पहले ही दे चुका था आदेश
बता दें कि 22 मार्च 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि तदर्थ शिक्षकों की सेवाओं को नियमित शिक्षकों के बराबर माना जाए और उन्हें भी पुरानी पेंशन योजना सहित सभी चयन व प्रोन्नत वेतनमान का लाभ दिया जाए। लेकिन सरकार ने इस आदेश को लागू नहीं किया और सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज की
16 जून 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हाईकोर्ट का फैसला बिल्कुल उचित है और इसे लागू किया जाना चाहिए। इसके साथ ही तदर्थ शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए उनके लिए पुरानी पेंशन योजना का रास्ता साफ कर दिया गया।
क्या है पुरानी पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना के तहत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को एक तय मासिक पेंशन मिलती है, जो उनकी आखिरी सैलरी के आधार पर तय होती है। यह योजना कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करती थी। लेकिन बाद में सरकार ने इसे बंद कर नई पेंशन योजना (NPS) लागू कर दी, जिसमें रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि बाजार आधारित होती है और यह गारंटीड नहीं होती।
कर्मचारियों की लंबे समय से यही मांग थी कि उन्हें फिर से पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए, क्योंकि इससे उनका बुढ़ापा सुरक्षित रहेगा।
तदर्थ शिक्षकों को और क्या-क्या मिलेगा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद न सिर्फ तदर्थ शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा बल्कि उन्हें चयन और प्रोन्नत वेतनमान (promotion pay scale) का भी फायदा मिलेगा। यानी अब उन्हें नियमित शिक्षकों की तरह सभी सरकारी सुविधाएं और वेतन लाभ भी मिलेंगे।
यह फैसला उन शिक्षकों के लिए भी राहत लेकर आया है जिनकी सेवाएं 30 दिसंबर 2000 तक नियमित की गई थीं, लेकिन फिर भी उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ नहीं दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ऐसे शिक्षक भी इस फैसले के दायरे में आएंगे।
शिक्षकों में खुशी की लहर
इस फैसले के बाद तदर्थ शिक्षकों के बीच जबरदस्त खुशी का माहौल है। कई शिक्षक संगठनों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आखिरकार उनकी वर्षों की मेहनत रंग लाई है। लंबे समय से चल रही लड़ाई और कानूनी लड़ाई के बाद जो जीत मिली है, वह ऐतिहासिक है।
शिक्षकों का कहना है कि अब उन्हें अपने रिटायरमेंट को लेकर चिंता नहीं करनी पड़ेगी। उनके पास एक स्थायी और सुनिश्चित पेंशन होगी, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा।
आगे क्या?
अब यूपी सरकार को इस फैसले को अमल में लाना होगा। यानी संबंधित विभाग को जल्द से जल्द ऐसे शिक्षकों की सूची बनानी होगी और पुरानी पेंशन योजना के तहत उन्हें रजिस्टर करना होगा। साथ ही चयन व प्रोन्नत वेतनमान के लिए भी प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के तदर्थ शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक बड़ी जीत है। इससे न केवल उनका हक उन्हें मिला, बल्कि यह भी साबित हो गया कि अगर लड़ाई सच्चाई के लिए हो, तो देर जरूर होती है लेकिन जीत तय होती है। अब देखना होगा कि सरकार इस फैसले को कितनी तेजी से लागू करती है ताकि शिक्षक वर्ग को इसका समय पर लाभ मिल सके।