Petrol Diesel Rate – अगर आप भी हर दिन बाइक या कार लेकर ऑफिस जाते हैं, तो ये खबर आपके चेहरे पर मुस्कान ला सकती है। देशभर में फ्यूल प्राइस में अच्छी-खासी गिरावट देखी गई है और इसका सबसे बड़ा कारण है – इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी। पेट्रोल-डीजल की कीमतें अब कुछ हद तक कंट्रोल में हैं और सरकार की टैक्स पॉलिसी में नरमी से आम जनता को थोड़ी राहत जरूर मिली है।
क्यों घट रहे हैं पेट्रोल-डीजल के दाम?
फ्यूल रेट्स कम होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है – अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट। ओपेक देशों ने तेल उत्पादन बढ़ा दिया है और दुनिया भर में डिमांड थोड़ी कम हो गई है। इसके अलावा, भारत सरकार की तरफ से कुछ टैक्सों में कटौती की गई है, जिससे फ्यूल प्राइस में राहत मिली है। इसका सीधा फायदा मिल रहा है आम उपभोक्ताओं को।
आज के पेट्रोल और डीजल के ताज़ा रेट
देश के बड़े शहरों में आज पेट्रोल-डीजल की कीमतें कुछ इस तरह हैं:
- दिल्ली: पेट्रोल ₹96.72, डीजल ₹89.62
- मुंबई: पेट्रोल ₹106.31, डीजल ₹94.27
- चेन्नई: पेट्रोल ₹102.63, डीजल ₹94.24
- कोलकाता: पेट्रोल ₹102.47, डीजल ₹92.57
- बेंगलुरु: पेट्रोल ₹101.94, डीजल ₹87.89
- हैदराबाद: पेट्रोल ₹105.83, डीजल ₹98.34
- पुणे: पेट्रोल ₹105.72, डीजल ₹92.73
- जयपुर: पेट्रोल ₹108.48, डीजल ₹93.72
इन रेट्स में थोड़ा-बहुत अंतर हर राज्य के टैक्स स्ट्रक्चर के कारण होता है, लेकिन ट्रेंड लगभग एक जैसा है – फिलहाल रेट स्थिर या थोड़े कम हैं।
पेट्रोल-डीजल सस्ते होने का सीधा असर क्या होगा?
सबसे पहले तो ट्रांसपोर्टेशन की लागत घटेगी, जिससे सब्ज़ी-दूध से लेकर बाकी ज़रूरी चीज़ों की कीमत पर असर पड़ेगा। यानी महंगाई थोड़ी कंट्रोल में आ सकती है। इसके अलावा, किसान और ट्रक ऑपरेटर जैसे प्रोफेशनल्स को भी राहत मिलेगी। डीजल सस्ता होने से खेती-किसानी और माल ढुलाई दोनों सस्ती हो जाएंगी।
लंबे समय में क्या फायदा मिलेगा?
अगर फ्यूल रेट्स थोड़े समय तक कम बने रहते हैं, तो इसका असर हमारी जेब से लेकर देश की इकॉनमी तक दिखेगा। लोग ज़्यादा खरीदारी करेंगे, बाजार में मांग बढ़ेगी और बिज़नेस सेक्टर को रफ्तार मिलेगी। साथ ही, जब फ्यूल महंगा नहीं होगा तो ट्रैवल और टूरिज्म भी तेजी से ग्रो करेगा।
फ्यूल प्राइस आगे क्या रहेगा?
अभी तो सब कुछ कंट्रोल में दिख रहा है, लेकिन फ्यूल रेट्स ज्यादा दिनों तक एक जैसे नहीं रहते। आने वाले 3 से 6 महीने तक रेट्स स्थिर रह सकते हैं, लेकिन 1 साल के अंदर हल्की बढ़त देखने को मिल सकती है। 5 साल की बात करें तो फ्यूल प्राइस फिर से ऊपर-नीचे होता रहेगा, क्योंकि ये पूरी तरह इंटरनेशनल मार्केट और पॉलिटिकल सिचुएशन पर निर्भर करता है।
पेट्रोल-डीजल को लेकर क्या-क्या जानना जरूरी है?
सबसे पहले तो ये समझना ज़रूरी है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें केवल तेल कंपनियां तय नहीं करतीं। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स का बड़ा रोल होता है। सरकार जब टैक्स घटाती है, तभी जनता को रेट कम दिखाई देते हैं। दूसरी बात – फ्यूल रेट्स में थोड़ी सी भी कमी का सीधा फायदा आपको तब मिलेगा जब ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी चीज़ें सस्ती हों।
Disclaimer
यह लेख वर्तमान फ्यूल प्राइस और ट्रेंड पर आधारित है। शहर और राज्य के हिसाब से रेट्स में हल्का फर्क हो सकता है। किसी भी लेनदेन या निर्णय से पहले संबंधित पेट्रोल पंप या सरकारी वेबसाइट से ताज़ा रेट की पुष्टि ज़रूर करें।